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तीन लाख किमी दूर स्पेस में मिला ‘कार्बन का खजाना’

वॉशिंगटन . हाल ही में हुए एक खोज भविष्य में अंतरिक्ष Passengers को चंद्रमा पर लंबा समय बिताने में मदद कर सकती है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में चंद्रमा के ध्रुवों पर कार्बन डाइऑक्साइड कोल्ड ट्रैप की उपस्थिति की पुष्टि की है. जिसका इस्तेमाल ईंधन, साथ ही बायोमैटिरियल्स और यहां तक कि स्टील के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में किया जा सकता है. प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक नॉर्बर्ट शॉर्गहोफर बताते हैं कि कार्बन एक महत्वपूर्ण तत्व है. शॉर्गहोफर और उनके सहयोगियों ने जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक पेपर में अपनी खोज का विवरण दिया है.

रिसर्च के मुताबिक चंद्रमा पर न सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड है, बल्कि इसकी प्रचुरता भी है. यद्यपि चंद्रमा के ठंडे वातावरण से कार्बन निकालने की एक खास तकनीक अभी विकसित नहीं हुई है लेकिन यह पृथ्वी पर खनन संसाधनों के समान ही होगी. शॉर्गहोफर ने कहा कि स्थायी अंधेरे में काम करना चुनौती है. यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वातावरण है लेकिन फिर भी पृथ्वी से लाने की तुलना में यह अभी भी बहुत आसान है. पृथ्वी से कार्बन का परिवहन बहुत अधिक महंगा होगा और साथ ही पृथ्वी की कक्षा में एक पाउंड पेलोड लगाने में लगभग 10,000 Dollar का खर्च आएगा. इसलिए स्थानीय संसाधनों का होना एक बेहतर विकल्प लगता है. अंतरिक्ष एजेंसियों के पास अभी भी कार्बन डाइऑक्साइड के खनन का तरीका विकसित करने के लिए कुछ समय है.

चंद्रमा पर उतरने वाला आर्टेमिस का चालक दल अब 2024 की जगह 2025 में उड़ान भरेगा. बता दें ‎कि चंद्रमा पर भविष्य के मिशन को पूरा करने के लिए सिर्फ 238,855 मील की यात्रा करके चंद्रमा तक पहुंचना ‘आधी कामयाबी’ है. वैज्ञानिकों का लक्ष्य सिर्फ चंद्रमा पर पहुंचना नहीं है बल्कि वहां मानव उपस्थिति को बनाए रखना है. इसके लिए अंतरिक्ष Passengers को चंद्रमा की सतह पर संसाधन पैदा करने की जरूरत है.

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