वॉशिंगटन . अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ब्रह्मांड के रहस्यों की पहेली सुलझाने में सतत प्रयत्नशील है अब उसके एक स्पेसक्राफ्ट ने बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा से आ रही एक वाई-फाई जैसे सिग्नल को पकड़ा है. जिसे वैज्ञानिकों ने किसी एफएम सिग्नल के जैसा पाया है. इस अनोखे सिग्नल को 2016 से बृहस्पति की परिक्रमा कर रहे जूनो अंतरिक्षयान ने पकड़ा है. बताया जा रहा है कि यह सिग्नल बृहस्पति के चंद्रमा गैनीमिड से आया था. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किसी एफएम सिग्नल के जैसा प्रतीत हो रहा है. अधिकतर सिग्नलों को एफएम और एएम रेडियो तंरगों के जरिए भेजा जाता है. जिसमें से एफएम रेडियो तरंगों को तकनीकी रूप से ज्यादा उन्नत माना जाता है. क्योंकि, संचरण यानी एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाने के दौरान एफएम सिग्नलों में माध्यम की त्रुटियां जैसे शोरगुल आदि कम होता है. जिससे यह रिसीवर पर ज्यादा साफ सुनाई देती है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, आज से पहले कभी भी सोलर सिस्टम के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के चंद्रमा से इतनी मजबूत तरंगों को पकड़ा नहीं गया है. जूनो को यह रेडियो वेब गैनीमिड चंद्रमा की गैस से बने ध्रुवीय क्षेत्र की परिक्रमा के दौरान मिला है. इस क्षेत्र में गैनिमेड की चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं गुजरती हैं. वैज्ञानिकों की भाषा में इस प्रक्रिया को आम तौर पर एक डिकैमेट्रिक रेडियो उत्सर्जन के रूप में जाना जाता है. खबरों के अनुसार, बृहस्पति के रेडियो उत्सर्जन की खोज 1955 में की गई थी. पिछले 66 वर्षों में इस ग्रह से कई ऐसी रेडियो तरंगे मिली हैं. वैज्ञानिक अब यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये सिग्नल आखिर कैसे संचालित होते हैं. नासा के शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रेडियो सिग्नल्स के लिए इलेक्ट्रॉन जिम्मेदार हैं. इस सिग्नल को जूनो अतंरिक्षयान ने 50 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से उड़ते हुए केवल 5 सेकेंड तक महसूस किया. हालांकि, वैज्ञानिकों को अभी भी विश्वास नहीं है कि ऐसे किसी ग्रह पर कोई जीवन हो सकता है.