चित्तौड़गढ़. चित्तौड़गढ़ आगार की बस में तीन लाख रुपए मूल्य के गहने, मोबाइल व नकदी रखा बैग भूल गई, बस के आगार पहुंचने पर कंडक्टर को खाली बस में यह बैग मिला तो उसने प्रबंधन को जमा कराया. इसके बाद पुलिस (Police) को भी इसकी सूचना दी गई. उधर महिला के परिजनों ने भी चित्तौड़ डिपो में फोन करके बैग बस में छूट जाने की बात कही. इस पर उन्हें बताया गया कि बैग सुरक्षित है, अगले दिन महिला का रिश्तेदार आया जिसकी मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग से पहचान कराकर बैग सौंप दिया गया.
बाड़मेर निवासी तारा पत्नी धनराज जोशी ने बताया कि गत माह हुई बेटी की मौत के बाद वह अन्य परिजनों के साथ हरिद्वार (Haridwar) में अस्थियां विसर्जित करने गई थीं. इसके बाद पीहर कांकरोली आने के लिए वह फालना से चित्तौड़ आगार की बस में बैठी. बुधवार (Wednesday) शाम कांकरोली उतर गई. वह अपना बैग बस में भूल गई. जिसका पता उसे रात में चला. इधर, बस चित्तौड़गढ़ पहुंच गई. परिचालक जोधपुर (Jodhpur) के शेरगढ़ निवासी नरपतसिंह चौहान ने बस खाली होने के बाद उसमें बैग देखकर डिपो के यातायात शाखा कर्मचारी खुमानसिंह को सौंप दिया. खुमानसिंह ने कोतवाली पुलिस (Police) व आगार प्रबंधक को बताया.
बैग में जेवर, नकदी, मोबाइल व कपड़े थे. महिला के परिजनों ने भी डिपो के पूछताछ केंद्र पर बैग गुम होने की सूचना दी. गुरुवार (Thursday) सुबह तारादेवी का रिश्तेदार विशाल जोशी डिपो कार्यालय पहुंचा. मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग करवा बैग तारादेवी का होने की पुष्टि की. कोतवाली के सिपाही रतनलाल हेमव्रतसिंह भी मौजूद रहे. डिपो प्रबंधक ओमप्रकाश चेचाणी ने बैग को सील चिट किया. शाम को रिश्तेदार को बैग सुपुर्द किया.
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