काहिरा . पिरामिडों के लिए मशहूर मिस्र के प्राचीन रहस्यमय राजा तूतनखामुन के ‘शापित’ ताबूत को पहली बार दूसरी जगह ले जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन को चेतावनी दी है. इस ताबूत को काहिरा के म्यूजियम में दिखाया जाना है जिसका निर्माण कार्य पूरा हो गया है. राजा तूतनखामुन प्राचीन मिस्र के सबसे चर्चित फेरो थे और जब उनके कब्र की खोज हुई थी तब दुनिया स्तब्ध रह गई थी. सबसे आश्चर्यजनक यह रहा कि बेबी किंग कहे जाने वाले राजा तूतनखामुन की इस कब्र को खोलने के कुछ महीने के अंदर ही 6 पुरातत्वविदों की मौत हो गई थी. मारे गए लोगों में खुदाई के लिए पैसा देने वाले लॉर्ड कार्नरवॉन भी शामिल थे. उस समय कहा गया था कि इन सभी लोगों को राजा तूतनखामुन का शाप लगा है. राजा तूत का खजाना पूरी दुनिया में फैलता रहा लेकिन उनके ताबूत को वहीं पर ही रखा गया. अब बेबी किंग का यह ताबूत भी मिस्र के ग्रैंड म्यूजियम में ले जाया जाने वाला है. इस म्यूजियम का 97 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है. मिस्र की सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी (Epidemic) के बाद भी इस म्यूजियम को इसी साल खोला जाएगा.
जब म्यूजियम खुल जाएगा तो उसके अंदर 50 हजार कलाकृतियां एक ही जगह पर रखी जाएंगी. इसमें राजा तूत के सामान भी शामिल हैं. लक्सर शहर के स्थानीय पुरातत्वविद अहमद रबी मोहम्मद ने कहा कि अगर तूतनखामुन लक्सर छोड़ते हैं तो यहां का हरेक आदमी निराश हो जाएगा क्योंकि बेबी किंग वर्ष 1922 में पहली बार दुनिया के सामने आने के बाद हमेशा से यहीं पर अपने मकबरे में रहे हैं. अहमद ने कहा, ‘जब ममी का परीक्षण हुआ था तो वह भी यही राजाओं की घाटी में हुआ था. वे लोग अपनी एक्सरे मशीन लेकर आए थे और राजा तूत कभी यहां से नहीं गए थे. लोग सोशल मीडिया (Media) में राजा तूत के ग्रैंड म्यूजियम में ले जाए जाने की चर्चा कर रहे हैं.’ एक अन्य टूर गाइड मोहम्मद ने कहा कि राजा तूत के यहां से जाने पर पर्यटकों के आने पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि प्राचीन राजा को न छेड़ा जाए. उधर, मिस्र के पुरातत्व मामलों के निदेशक डॉक्टर अलतैयब अब्बास ने इस पर असहमति जताई और कहा कि आज अगर तूतनखामुन जिंदा होते तो वह खुद ही काहिरा जाना चाहते. ममी के शापित होने के बारे में अब्बास ने कहा कि वह इसके बारे में जानते हैं और इसका सम्मान करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पाप बुरी तरह से गल चुके शव को लेकर था जिसका अगर कोई भी हिस्सा अगर इंसान के खुले घाव को छू जाए तो संक्रमण फैल सकता है. इसीलिए अब पुरातत्वविद मास्क पहनकर ऐसी जगह पर जाते हैं.