उदयपुर (Udaipur). महाराणा भीम सिंह (राज्यकाल 1778-1828 ई.स.) का जन्म चैत्र कृष्ण सप्तमी, विक्रम संवत् 1824 को हुआ था. सन् 1778 में महाराणा हम्मीर सिंह के स्वर्गवास के बाद महाराणा भीम सिंह की गद्दीनशीनी सम्पन्न की गई. महाराणा भीम सिंह जी की 253वीं जयन्ती पर महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर (Udaipur) की और से पूजा-अर्चना सम्पन्न की गई.
महाराणा मेवाड़ के 67वें एकलिंग दीवान के रूप में कम आयु में अपनी माता सरदार कुंवर के संरक्षण में गद्दी पर बैठे. सरदारों के आपसी संबंध संघर्षपूर्ण थे. राज्य पर लगातार होल्कर, सिंधिया व पिंडारियों के आक्रमण ने स्थिति को ओर भी कष्टप्रद बना दिया था.
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर (Udaipur) के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि, राज्य की स्थिति व प्रजा के कष्टों को ध्यान में रखकर महाराणा ने 13 जनवरी 1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ संधि-पत्र हस्ताक्षर कर मेवाड़ को मराठा आक्रमणों से सुरक्षित करने का प्रयास किया. महाराणा ने मेवाड़ के सरदारों के मध्य भी आपसी समझौतों के द्वारा स्थिरता लाने का प्रयास किया.
महाराणा भीम सिंह ने अपने 50 वर्ष के राज्यकाल में उदयपुर (Udaipur) के राजमहलों में भीम विलास, भीम निवास, पार्वती विलास महलों का निर्माण करवाया. उदयपुर (Udaipur) में विट्ठलनाथ जी व गोर्वधननाथ जी की हवेली व घसीयार में मंदिर का निर्माण करवाया. इन महाराणा के समय में भीमपद्मेश्वर जी मंदिर व रामनारायण मंदिर का निर्माण हुआ. वर्तमान में कोरोना महामारी (Epidemic) के चलते महाराणा की जयंती पर किसी प्रकार के आयोजन नहीं रखे जाऐंगे.