नई दिल्ली (New Delhi) . उच्चतम न्यायालय ने बुधवार (Wednesday) को 18 वर्षीय छात्र (student) को बड़ी राहत प्रदान की, जब आईआईटी, मुंबई (Mumbai) को इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में छात्र (student) को अंतरिम प्रवेश देने का निर्देश दिया. छात्र (student) ने गलती से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के गलत लिंक को क्लिक करने की वजह से अपनी सीट गंवा दी थी. आगरा (Agra) निवासी सिद्धांत बत्रा ने आईआईटी, मुंबई (Mumbai) में चार वर्षीय इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की सीट गंवा दी थी क्योंकि उसने गलती से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में गलत लिंक दबा दिया था. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने छात्र (student) की ओर से अधिवक्ता प्रह्लाद परंजपे के कथन का संज्ञान लेकर आईआईटी, मुंबई (Mumbai) से कहा कि वह छात्र (student) को अंतरिम प्रवेश प्रदान करे. पीठ ने साथ ही याचिका पर आईआईटी, मुंबई (Mumbai) को नोटिस जारी कर याचिका शीतकालीन अवकाश के बीच सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी.
मामले की सुनवाई के दौरान परंजपे ने कहा कि यह प्रवेश छात्र (student) की याचिका पर शीर्ष अदालत के अंतिम निर्णय के दायरे में होगा. इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने छात्र (student) की याचिका खारिज करते हुए आईआईटी के तर्क का संज्ञान लिया था कि इस चरण में वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि सारे पाठ्यक्रमों की सारी सीटें पूरी हो गई हैं और वैसे भी प्रवेश के नियमों का पालन करना होगा. उसने कहा था कि अगले साल सिद्धार्थ जेईई (एडवांस्ड) के लिए दुबारा आवेदन कर सकता था. उच्च न्यायालय ने शुरू में आईआईटी को निर्देश दिया था कि वह सिद्धांत के प्रतिवेदन पर विचार करे और उस पर उचित व्यवस्था दे. सिद्धांत ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा में अखिल भारतीय 270 रैंक हासिल किया था.