वुहान . जानलेवा महामारी (Epidemic) कोरोना (Corona virus) के प्रकोप को लगभग एक साल पूरा हो चुका है लेकिन अभी तक यह सच्चाई उजागर नहीं हुई है कि आखिर वायरस फैला कैसे और कहां से आया. चीन की सरकार पर महामारी (Epidemic) फैलने की बात छिपाने के आरोप लगते रहे हैं और अब एक बार फिर वह सवालों के घेरे में है. दरअसल, दावा किया जा रहा है कि वायरस फैलने के आरोपों के घेरे में आने वाली वुहान की वायरॉलजी लैब से जुड़े अहम ऑनलाइन डेटा को डिलीट कर दिया गया है.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी में किए जा रहे शोधों से जुड़ी सैकड़ों पन्नों की जानकारी को मिटा दिया गया है. नेशनल नैचरल साइंस फाउंडेशन ऑफ चाइना (एनएसएफसी) ने 300 से ज्यादा ऐसी स्टडीज छापी थीं जिनमें से कई में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों पर काम किया गया था. ये सब अब मौजूद नहीं हैं. इसके साथ ही एक बार फिर चीन पर आरोप लग रहे हैं कि वह वायरस की उत्पत्ति को छिपाने की कोशिश कर रहा है.
एनएसएफसी की ऑनलाइन स्टडीज का जो डेटा डिलीट किया गया है उसमें वुहान की वायरॉलजिस्ट शी झेंगली का काम भी है जिन्हें चमगादड़ों की गुफाओं में जाकर सैंपल लेने के लिए ‘बैटवुमन’ तक कहा जाता है. वह स्टडीज भी गायब हो चुकी हैं जिनमें चमगादड़ों से दूसरे जीवों में सार्स जैसे कोरोना (Corona virus) के ट्रांसमिशन के रिस्क पर काम किया गया था. इससे पहले पिछले हफ्ते राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के जांचकर्ताओं को देश में आने से रोक दिया था. दूसरी ओर सरकारी मीडिया (Media) इस बात का दावा किए जा रहा है कि वायरस वुहान से फैलना शुरू नहीं हुआ. महामारी (Epidemic) की शुरुआत के बाद से इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि चीन की सरकार ने न सिर्फ अपने देश में वायरल को गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि पूरी दुनिया को भी अंधेरे में रखा.