

New Delhi, 19 सितंबर . दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दर्ज मानहानि मामले में Rajasthan के Chief Minister Ashok Gehlot की बरी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने मामले की अगली सुनवाई 25 और 26 सितंबर को करने का आदेश दिया. कोर्ट ने 14 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कोर्ट ने 6 जुलाई को बतौर आरोपित Ashok Gehlot को समन जारी किया था. इससे पहले दिल्ली Police ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी. गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. जांच एजेंसियों ने भी मुझे आरोपित नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. इसके बावजूद Ashok Gehlot ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए.
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है. याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली. इस घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है.
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है, न कि एसओजी को. एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है, लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की. गहलोत ने अपने ट्वीट में शेखावत से कहा कि अगर आप निर्दोष हैं तो आगे आइए और लोगों के पैसे वापस कीजिए. याचिका में कहा गया है कि Chief Minister गहलोत ने शेखावत का नाम एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ जोड़कर चरित्र हनन करने की कोशिश की, जबकि न ही वे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस सोसायटी में जमाकर्ता हैं.
/संजय
