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दिनकर दक्षिण भारत के लोगों के दिल में बनाया हिंदी के लिए स्थान : डॉ. निरंजन

कार्यक्रम

begusarai , 16 सितम्बर . राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सार्वकालिक और सार्वदेशिक कवि हैं. उन्होंने जीवन के अंतिम समय में तिरुपति के मंदिर परिसर में जब रश्मिरथी का सस्वर पाठ किया, तो वहां उपस्थित हजारों लोगों ने मंत्रमुग्ध होकर सुना. दिनकर ने इस वर्जना को तोड़ा कि दक्षिण भारत में हिंदी से प्रेम नहीं है.

यह बातें 115वीं दिनकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित दस दिवसीय समारोह के दूसरे दिन Saturday को मध्य विद्यालय सिमरिया में मुख्य अतिथि begusarai जलेस के उपसचिव साहित्यकार डॉ. निरंजन कुमार ने कही. राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति सिमरिया के तत्वावधान में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि दिनकर ऐसे कवि हैं, जिन्होंने दक्षिण भारत के लोगों के दिल में हिंदी के लिए स्थान बनाया.

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जब तक धरती पर शोषण है, अत्याचार है, जुल्म है, प्रपंच है, तब तक दिनकर की कविता हमारा पथ प्रदर्शक बनी रहेगी. समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोतीलाल रजक ने कहा कि इस विद्यालय में आने के बाद मैं दिनकर की महत्ता से परिचित हुआ और पता चला कि दिनकर ने इसी विद्यालय में शिक्षा पाई. दिनकर ने जिस कष्टसाध्य स्थिति में शिक्षा पाई, उससे आज उनके गांव के विद्यार्थियों को प्रेरित होने की जरूरत है.

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दिनकर पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष बद्री प्रसाद राय ने कहा कि दिनकर की चेतना ने जो उच्चता प्राप्त किया और उनमें जो असीम सामर्थ्य था, उसी ने उनको एक ताकतवर कवि बनाया. समारोह में शामिल छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने कहा कि दिनकर का शब्द-संसार इतना विस्तृत है कि उनकी रचनाओं में सोद्देश्यता के साथ-साथ हर जगह एक संदेश भी है. वे संदेश हितोपदेश, पंचतंत्र एवं रामचरितमानस की मानिंद हमारे जीवन को प्रभावित करती है.

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/गोविन्द

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