डब्ल्यूएचओ फ्रांस की एसीसीआई कांफ्रेंस मे जुटे देश दुनिया के कैंसर विशेषज्ञ
Udaipur. गांवों में कैंसर के प्रति जागरूकता की काफी कमी है इस कारण कैंसर की बिगड़ी हालत में रोगी इलाज के लिए पहुंचते है. सरकार और संस्थाओं के साथ मिलकर डब्ल्यूएचओ अगले दो साल में गांवों तक कैंसर जागरूकता के प्रयास करेंगी. यह बात Monday से शुरू हुई एसीसीआई (एक्सिस कैंसर केयर इंडिया) की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में डब्ल्यूएचओ फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसी के प्रमुख डॉ. पार्थ बासू ने कहीं.
जीबीएच कैंसर हॉस्पीटल की मेजबानी में हो रही कार्यशाला में प्रथम चरण में Kerala, तमिलनाडू और Rajasthan में लागू किए गए पायलट प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई. डॉ. पार्थ बासू ने कहा कि ओरल कैंसर, गर्भाशय के मुंह के कैंसर प्रमुख है जिसपर काबू पाने से काफी हद तक कैंसर पर विजय प्राप्त की जा सकती है. कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन देश में समय पर पता नहीं लगना और उपचार नहीं मिल पाना प्रमुख कारण सामने आया है.
इस कांफ्रेंस के माध्यम से इन्हीं कारणों का पता लगाकर सरकार के साथ मिलकर कैंसर उन्मूलन पर कार्य किया जाएगा. अगले दो साल में देश के गांवों तक जागरूकता के प्रयास किए जाएंगे ताकि अधिकाधिक जनसंख्या कैंसर को पहचान सकें और उसका समय पर इलाज करवा सकें. जागरूकता से कैंसर से होने वाले आंकड़ों को काफी हद तक घटाने में मदद मिलेगी.
इंडो अमेरिकन कैंसर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं विश्व प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. कीर्ति जैन ने बताया कि विदेशों में 75 प्रतिशत जनसंख्या कैंसर के प्रति जागरूक है जबकि इसके विपरीत भारत में सिर्फ 30 प्रतिशत जनसंख्या ही जागरूक है. इस अंतर के कारण ही सर्वाधिक गर्भाशय के कैंसर से मौत हो रही है जबकि अविवाहित युवतियों के लिए एचपीवी वेक्सिन और विवाहित महिलाओं के लिए सर्विक्स कैंसर की जांच की सुविधा उपलब्ध है.
हर महिला तक इसके प्रति जागरूकता से लगभग सौ प्रतिशत तक सर्विक्स कैंसर से बचाव संभव है. विदेशों में सरकार ने तंबाकू व उसके उत्पादक कंपनियों पर कर लगाकर उसका उपयोग जागरूकता के लिए किया है. उससे काफी हद तक व्यसन से होने वाले कैंसर पर अंकुश संभव हुआ है. ऐसा ही प्रयास देश में होने से तंबाकू व उसके उत्पाद से होने वाले कैंसर पर लगाम के प्रयास संभव होंगे.
कांफ्रेंस में तमिलनाडू से डॉ. स्वामीनाथन ने वहां की भौगोलिक स्थिति और कैंसर के क्षेत्र में अब तक हुए कार्य की जानकारी दी. Kerala से डॉ. रामदास, डॉ. रीटा इशाक, डॉ. देवूप्रकाश और डॉ. कुणाल ओसवाल ने अब तक के कार्यों व पहाड़ी प्रदेश होने से दूरदराज तक मेडिकल सुविधा पहुंचाने की दिक्कत सांझा की.
Rajasthan के बारे में जीबीएच कैंसर हॉस्पीटल के एचओडी डॉ. रोहित रेबेलों ने खेरवाड़ा, गोगुंदा और कोटड़ा क्षेत्र में किए गए कार्य बताए. इनके द्वारा बताए गए आंकड़ों, समस्याओं पर चर्चा के बाद आगामी दो साल की रूपरेखा तय की गई. लंदन से डॉ. रिचार्ड सुलेवन, डॉ. आर्नी पुरूषोत्तम, डॉ. मोनी कुरियाकोस, इशु कटारिया, अरूणाह चंद्रन ने अपने सुझाव दिए. कार्यशाला के समापन Tuesday को होगा.
