Gujarat

राज्य के वन व अभ्यारण्य क्षेत्रों के प्रोजेक्ट्स का होगा एनवायरनमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट

स्टेट बोर्ड फ़ॉर वाइल्ड लाइफ़ की 22वीं बैठक
स्टेट बोर्ड फ़ॉर वाइल्ड लाइफ़ की 22वीं बैठक

-Gandhinagar में हुई स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की 22वीं बैठक

Gandhinagar , 24 अगस्त . Chief Minister भूपेंद्र पटेल ने वन विभाग को राज्य के अभयारण्य क्षेत्रों में शुरू किए गए और शुरू होने वाले बड़े प्रोजेक्ट्स का एनवायरनमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट करने के सुझाव दिए हैं. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि वन्य अभयारण्य क्षेत्रों में Railwayलाइन, अंडरग्राउंड पाइपलाइन, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क जैसे प्रोजेक्ट से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों पर अध्ययन होना चाहिए. Chief Minister ने Thursday को Gandhinagar में आयोजित स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की 22वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये सुझाव दिए.

Chief Minister पटेल ने कहा कि इन वन्य प्राणी क्षेत्रों में जहां घास या पेड़ न हों तथा खुली जमीनें हो, तो उसका सर्वेक्षण किया जाए. बोर्ड की इस बैठक में राज्य के गीर, जांबूघोडा, पूर्णा, जेसोर, नारायण सरोवर, कच्छ अभयारण्य सहित सभी अभयारण्यों में मौजूदा कच्चे रास्तों, नालों, पुलों-पुलियों को चौड़ा करने या उनकी मरम्मत करने, 66 केवी सब स्टेशन तथा बिजली लाइन और आईओवी की अंडरग्राउंड पाइपलाइन को बिछाने जैसे प्रस्तावों को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम-1972 की धारा 29 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए स्वीकृति दी गई.

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इको-सेंसिटिव जोन के संबंध में नए प्रस्ताव

वन मंत्री मुलुभाई बेरा तथा राज्य मंत्री मुकेश पटेल की उपस्थिति में आयोजित इस बैठक में इको-सेंसिटिव जोन के दायरे में आने वाले कुछ नए प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए. इन प्रस्तावों में बालाराम-अंबाजी अभयारण्य के इको-सेंसिटिव जोन क्षेत्र में वन्य जीव दृष्टिकोण की अनुशंसा के साथ तारंगा हिल-अंबाजी-आबू रोड नई ब्रॉडगेज रेल लाइन डालने का प्रस्ताव शामिल है. केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे प्रस्ताव स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की अनुशंसा प्राप्त कर नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ को भेजना होता है. बैठक में बताया गया कि वन विभाग अब इस प्रस्ताव को नेशनल बोर्ड को भेजेगा. राज्य में संशोधित वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 का 1 अप्रैल से क्रियान्वयन किया जा रहा है.

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प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) नित्यानंद श्रीवास्तव ने बैठक में प्रेजेंटेशन के माध्यम से इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी. बैठक में बताया गया कि धारा 25-ए के अनुसार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास तथा पुनर्स्थापन अधिनिय-2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के अंतर्गत कार्यवाही करने के अधिकार जिला Collector को दिए गए हैं.

अभयारण्य मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा वन प्रबंधन

बैठक में यह भी बताया गया कि धारा-33 के प्रावधानों के अंतर्गत चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन केन्द्र सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार उनके द्वारा मंजूर किए गए अभयारण्य मैनेजमेंट प्लान के अंतर्गत अभयारण्य का नियंत्रण, संचालन एवं रक्षण करेंगे. बैठक में बताया गया कि जूनागढ़ जिले की मघरडी लघु सिंचाई योजना में जंगल की जमीन का उपयोग करने के लिए अधिग्रहित की गई प्रेमपरा की 38.23 हेक्टेयर भूमि को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम-1972 के अंतर्गत इस वर्ष प्रेमपरा अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया है. वन्य प्राणी संरक्षण व संवर्धन के अंतर्गत वन विभाग द्वारा सामान्य रूप से हर पांच वर्ष में राज्य में वन्य प्राणियों की गणना की जाती है. बैठक में पिछली गणना के अनुसार डॉल्फिन, भालू, गिद्ध, शियार, लकड़बग्घा, हिरन तथा नीलगाय जैसे प्राणियों की संख्या में हुई वृद्धि का विवरण प्रस्तुत किया गया.

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मुख्य सचिव राज कुमार ने स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की बैठक में हुई चर्चा में सहभागी होते हुए कहा कि अभयारण्य क्षेत्र में कंजर्वेशन (संरक्षण) के साथ डेवलपमेंट (विकास) का कॉन्सेप्ट अपना कर स्टडी तथा एसेसमेंट करने की आवश्यकता है.

इस बैठक में विधायक तथा बोर्ड के सदस्य महेश कसवाला, Chief Minister के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पंकज जोशी, Police महानिदेशक (डीजीपी) विकास सहाय, वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव संजीव कुमार, हेड ऑफ द फॉरेस्ट फोर्स एस. के. चतुर्वेदी सहित बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ वन अधिकारी उपस्थित रहे.

/ बिनोद

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