
Srinagar, 12 सितंबर . पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका से आयातित सेब पर शुल्क कम करने के Central Governmentके फैसले के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सेब से संबंधित टैरिफ पर केंद्र के कदम की आलोचना की और कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने कहा कि अमेरिका को खुश करने के लिए Central Governmentस्थानीय उत्पादकों को खत्म करना चाहती है. फारूक ने भारत सरकार से अपील की कि वह ऐसा कोई कदम न उठाएं, जिससे यहां पहले से मौजूद गरीबी और बढ़ जाए और हम एक और संकट में फंस जाएं. उन्होंने कहा कि अगर वे लोगों के लिए इसे आसान नहीं बनाते हैं तो हम सड़क पर उतरेंगे और विरोध करेंगे.
इस बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी सेब पर अतिरिक्त शुल्क हटाने के कदम की आलोचना की. उन्होंने कहा कि सेब की कोई कमी नहीं है. Himachal Pradeshऔर यहां (जम्मू-कश्मीर) में प्रचुर मात्रा में अच्छी गुणवत्ता वाले सेब होते हैं. वे (सरकार) अब भी सेब का आयात क्यों करना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि सरकार का मेक इन इंडिया एक मजाक था.
सीपीआई (एम) नेता एमवाई तारिगामी ने भी केंद्र की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेब पर लगने वाला आयात शुल्क…काफ़ी कम कर दिया गया है और हमारे बाज़ार को सौंप दिया गया है. उन्होंने पूछा कि अब हमारे सेब उत्पादक कहाँ जाएंगे?
उल्लेखनीय है कि जून में अमेरिका और भारत विश्व व्यापार संगठन में छह लंबित विवादों को समाप्त करने पर सहमत हुए. संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि के एक बयान में Friday को कहा गया कि इसके अलावा, भारत चना, दाल, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक अभिकर्मकों सहित कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमत हुए हैं. कुछ स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के अमेरिकी उपाय के जवाब में 2019 में अमेरिकी सेब पर अतिरिक्त 20 प्रतिशत शुल्क लगाया गया था. सेब पर मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है, जो अभी भी अमेरिका से आयातित सेब सहित सभी आयातित सेबों पर 50 प्रतिशत लागू है.
