उदयपुर (Udaipur). निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से मनमाफिक फीस वसूली एवं राजस्थान (Rajasthan)उच्च न्यायलय द्वारा दिए गए निर्णय की पालना नहीं करने और कुछ जायज़ मांगो के साथ जिला कलेक्टर (Collector) को शिव सेना, मेवाड़ संभाग जिलाध्यक्ष सुधीर शर्मा व युवा सेना जिलाध्यक्ष गौरव नागदा के नेतृत्व में ज्ञापन देकर सारी समस्याओं से अवगत करवाया साथ ही कुछ जायज़ मांगो को रखा गया जिसमें निम्न मांग रखता है जो इस प्रकार है –
(1). सभी निजी स्कूलों में फीस एक्ट 2016 को अनिवार्य रूप से लागू करवाया जाए.
(2). केवल मात्र ट्यूशन फीस का 70% (जिन्होंने स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन क्लासेज पढ़ी है) लिया जाए वो भी दी गए शर्तों के अनुसार
(3). सभी निजी स्कूलों की सोशल ऑडिट करवाकर सार्वजनिक की जावे.
(4). अभिभावकों से निर्धारित मापदण्ड से अधिक वसूली गई फीस रिफंड करवाई जावे.
(5). किसी भी बच्चे को फीस जमा नहीं होने पर शिक्षा व परीक्षा से वंचित नहीं किया जाए.
(6). निजी स्कूल में स्टूडेंट को फीस हेतु मानसिक प्रताड़ित व सार्वजनिक रूप से अपमानित करने एवं स्कूल द्वारा अभिभावकों को मैसेज भेज धमकाया व मानसिक अवसाद देने की शिकायत प्राप्त होने पर संचालक के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए.
युवा सेना जिलाध्यक्ष गौरव नागदा ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 18/12/2020 को माननीय उच्च न्यायलय राजस्थान (Rajasthan)द्वारा स्कूल फीस के संदर्भ में दिए गए निर्णय के अनुसार फीस एक्ट 2016 को अनिवार्य रूप से लागू करवाने हेतु बाध्य किया है.
2. यह की फीस एक्ट 2016 अभिभावकों के हित में है जिसको निजी स्कूल माफिया किसी भी कीमत पर लागू नहीं करना चाहते है बल्कि अपनी मनमानी फीस वसूल रहे है.
3. यह की उदयपुर (Udaipur) जिले में निजी स्कूल माफियाओं ने शिक्षा की आड़ में अपना गोरखधंधा शुरू कर रखा है जो कि अभिभावकों को मनमानी तरीके से लूट रहे है साथ ही अभिभावकों पर धमकी देकर दबाव बनाते है कि अगर फीस जमा नहीं करवाई तो स्टूडेंट को परीक्षा से वंचित रखा दिया जाएगा.
4. यह की संविधान के अनुच्छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ. आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ”नि:शुल्क और अनिवार्य” शब्द सम्मिलित हैं. ‘नि:शुल्क शिक्षा’ का तात्पर्य यह है कि किसी बच्चे जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा, जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म की फीस या प्रभार या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा. ‘अनिवार्य शिक्षा’ उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों पर 6-14 आयु समूह के सभी बच्चों को प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखती है. इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है जो आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21-क में यथा प्रतिष्ठापित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों पर कानूनी बाध्यता रखता है.
5. यह की शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार किसी भी बच्चे को फीस संबंधी कारणों से शिक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता. इसी तरह उसे परीक्षा में बैठने से भी वंचित नहीं किया जा सकता. इस संबंध में समय समय पर परिपत्र एवं निर्देश जारी किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि यदि इस संबंध में किसी निजी स्कूल की शिकायत मिलती है तो आयोग एवं जिम्मेदार अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई करने हेतु बाध्य होगा.
6. यह की माननीय उच्च न्यायलय राजस्थान (Rajasthan)एवं राज्य सरकार (State government) के आदेशानुसार निजी स्कूल केवल मात्र ट्यूशन फीस का 70% (शर्तों के साथ) अभिभावकों से लेे सकेगा परन्तु निजी स्कूल माफिया ओवर ऑल फीस का 70% वसूल रहे है जो कि गेर कानूनी एवं अवैध वसूली है.
7. यह की इन स्कूल माफिया द्वारा सरकार से शिक्षण संस्थानों के नाम पर करोड़ों की जमीन अलॉटमेंट सेवा के नाम करवाते है बाद में इनका माफिया रूपी मुखौटा सामने आता है.
8. यह की मनमानी फीस वसूली में निम्न स्कूल सम्मिलित है जिनकी शिकायते प्राप्त हो रही है – सेंट गीगोरियस स्कूल, सेंट मैथ्यूज स्कूल, सेंट्रल एकेडमी स्कूल, पेरेड़ाईस स्कूल,सेंट मैरिज स्कूल, सेंट पॉल स्कूल आदि है.
जिला कलेक्टर (Collector) से मांग की गई इनके विरूद्ध सख्त की जाए साथ ही फीस एक्ट 2016 को लागू करवाते हुए राजस्थान (Rajasthan)उच्च न्यायलय के आदेश की पालना सुनिश्चित की जावे.
ज्ञापन देने में जिलाध्यक्ष सुधीर शर्मा, युवा सेना जिलाध्यक्ष गौरव नागदा, जिला उपाध्यक्ष गणेश वैष्णव, नगर प्रमुख दिलीप लक्षकार, सुरेश वागरी, शाखा प्रमुख रतन मीणा आदि मौजूद रहे.