



अलवर, 19 सितंबर . सरिस्का स्थित पांडूपोल हनुमान जी महाराज का मेला Tuesday से शुरू हो गया. हनुमान जी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे. दिनभर श्रद्धालुओं का मंदिर में तांता लगा रहा. मेले को देखते हुए जिला Collector पुखराज सेन की ओर से Tuesday को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. जिसके चलते सभी सरकारी कार्यालय बंद रहे. हनुमान जी की घर घर पूजा अर्चना और ज्योत देखकर चूरमे का भोग लगाया गया. इसके साथ ही जिले भर के अनेक हनुमान मंदिरों में रामायण पाठ, भंडारा से लेकर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. मंदिरों में विशेष प्रकार की सजावट की गई है.
पांडुपोल हनुमान जी के मेले को देखते हुए रोडवेज की ओर से मेले के लिए करीब अस्सी से अधिक बस लगाई गई हैं. यह बस अलवर, सरिस्का गेट पहले और राजगढ़ से चलाई जा रही है. बसों के संचालन से Passengers को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. रोडवेज को भी हर साल मेले से अच्छा मुनाफा होता है.
कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव जब वन से गुजर रहे थे, तो रास्ते में एक पहाड़ से उनका रास्ता अवरुद्ध हो गया. गदाधारी भीम ने उस पहाड़ को अपनी गदा से तोड़ कर राह बना दी. इसके साथ ही भीम को सर्वशक्तिमान होने का अभिमान हो गया. चूंकि हनुमान जी पवन पुत्र कहे जाते हैं, इसलिए उन्होंने भीम को सही राह दिखाने का फैसला किया. हनुमान एक बुजुर्ग वानर के वेश में पांडवों के रास्ते पर लेट गए. भीम ने उन्हें हटने को कहा तो हनुमान ने कहा कि वह बहुत वृद्ध हैं और उनमें हिलने की ताकत नहीं. भीम ही उन्हें उठाकर रास्ते से किनारे कर दें. अभिमान में चूर भीम आगे तो बढ़े, लेकिन हनुमान जी की पूंछ तक ना हिला पाए. भीम को ग़लती का अहसास हुआ और हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए. मान्यता है कि पांडुपोल ही वह स्थल है, जहां हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था.
State government ने Monday को अधिसूचना जारी कर बताया कि पांडुपोल हनुमान मंदिर में जाने वाले Alwar के रजिस्टर्ड वाहनों को Tuesday , Saturday, पूर्णिमा एवं पांडुपोल एवं भरतरी मेले के दिन निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि अभी तक पांडुपोल मंदिर में जाने वाले वाहनों को सरिस्का में प्रवेश के लिए शुल्क देना पड़ता था.
/मनीष
