नई दिल्ली (New Delhi) . बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए 16 और बच्चों के पुनर्वास की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल खी गई. अर्जी में इन बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार को तत्काल आर्थिक सहायता मुहैया कराने की मांग की है.
मुख्य न्यायाधीश (judge) डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस मांग को लेकर पहले से दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए केंद्रीय श्रम मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पहले से लंबित जनहित याचिका में बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए 88 बच्चों के पुनर्वास के लिए आर्थिक मदद की मांग की गई है. पीठ ने सरकारों को इस मांग पर विचार करने और मामले की अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट पेश करने को कहा है. पीठ ने बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए एक बच्चे के पिता की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है.
याचिकाकर्ता मोहम्मद कादिर अंसारी ने बाल मजदूरी के शिकार बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की है. अंसारी ने उसका बेटा महज 12 साल की उम्र में बिहार (Bihar) से दिल्ली आकर बाल मजदूरी करने लग गया था. अधिवक्ता निमिषा मेनन और शिवांगी यादव के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि बाल मजदूरी कराने वाले बच्चों से 14 घंटे तक काम कराते हैं और उनका शोषण करते हैं. याचिकाकर्ता अंसारी ने अपने बेटे के अलावा बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए सभी बच्चों को केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएस योजना) 2016 के तहत पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है.