जेनेवा . भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में वैक्सीन राष्ट्रवाद को लेकर दुनिया को सख्त संदेश दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वैक्सीन राष्ट्रवाद को तुरंत बंद कर हमें सक्रिय तौर पर अंतरराष्ट्रीयवाद को बढ़ावा देना चाहिए. बता दें कि भारत ने अभी तक दुनियाभर के करीब 25 देशों को कोरोड़ों डोज कोरोना वैक्सीन की सप्लाई की है. इसमें काफी बड़ी मात्रा फ्री में दी गई कोरोना वैक्सीन की है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि खुराकों की जमाखोरी से महामारी (Epidemic) के खिलाफ लड़ाई और सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के वैश्विक प्रयास नाकाम हो जाएंगे. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विचार के लिए नौ बिंदुओं को रेखांकित किया, ताकि दुनिया कोविड-19 (Covid-19) महामारी (Epidemic) को निर्णायक रूप से पीछे छोड़कर ज्यादा लचीली बनकर उभरे. कोविड-19 (Covid-19) महामारी (Epidemic) के संदर्भ में विरोधों के उन्मूलन पर संकल्प 2532 (2020) के कार्यान्वयन पर खुली बहस के दौरान जयशंकर ने कहा कि वैक्सीन राष्ट्रवाद बंद कीजिए, इसके बजाय सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दीजिए. अतिरिक्त खुराकों को जमा करने से सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा हासिल करने के हमारे प्रयास नाकाम होंगे. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महामारी (Epidemic) का फायदा उठाने के लिए गलत जानकारी पर आधारित अभियान चलाए जा रहे हैं. ऐसे कुटिल लक्ष्यों और गतिविधियों को निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए.
जयशंकर ने इस बात पर चिंता जताई कि टीका वितरण के संदर्भ में वैश्विक समन्वय का आभाव मतभेद और मुश्किलें पैदा करेगा तथा गरीब देश इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे. उन्होंने रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय मिति (आईसीआरसी) के अनुमान का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे इलाकों में करीब छह करोड़ लोग जोखिम के दायरे में हैं. जब कोई देश सिर्फ अपने नागरिकों या अपने यहां रहने वाले लोगों के लिए वैक्सीन डोज सुरक्षित करने की कोशिश करता है तो इसे ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ नाम दिया जाता है. ऐसी स्थिति तब होती है जब कोई देश वैक्सीन को अन्य देशों में उपलब्ध होने से पहले ही उन्हें अपने घरेलू बाजार और अपने नागरिकों के लिए एक तरह से रिजर्व करने की कोशिश करता है. इसके लिए संबंधित देश की सरकार वैक्सीन मैन्यूफैक्चरर के साथ प्री-परचेज अग्रीमेंट कर लेती है.