नई दिल्ली (New Delhi) . केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी.वी.सदानंद गौड़ा ने वर्चुअल माध्यम से आज नई दिल्ली (New Delhi) में ‘रसायन विनिर्माण में प्रतिस्पर्धा और स्थिरता के लिए विनिर्माण उत्कृष्टता व नवाचार’ पर राष्ट्रीय संवाद को संबोधित किया. इस अवसर पर सचिव, रसायन एवं पेट्रो रसायन योगेन्द्र त्रिपाठी; अतिरिक्त सचिव (रसायन)समीर कुमार बिश्वास; महानिदेशक, भारतीय रसायन परिषद एच.एस. करंगले; सीएमडी, एचआईएल इंडिया लि. डॉ. एस. पी. मोहंती; भारत में यूनिडो के क्षेत्रीय प्रतिनिधि डॉ. रेने वान बर्केल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
मंत्री गौड़ा ने कहा कि 5 लाख करोड़ डॉलर (Dollar) की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में रसायन और पेट्रो रसायन क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. 2019 में भारत का रसायन उद्योग 178 अरब डॉलर (Dollar) के स्तर पर था और 2025 तक इसके बढ़कर 304 अरब डॉलर (Dollar) के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है. साथ ही 2025 तक सालाना मांग 9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि उद्योग के महत्वाकांक्षी विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप, कंपनी स्तर पर पहल, उद्योग-शैक्षणिक भागीदारियों, उचित निवेश और बेहतर अंतर्राष्ट्रीय पहुंच की आवश्यकता होगी.
मंत्री ने उम्मीद जताई कि संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूनिडो) अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं और नीति एवं तकनीक सहायता के साथ घरेलू उद्योग को समर्थन देगा. मंत्री ने बताया कि हमारे देश में रसायन उद्योग बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार में एक अहम भूमिका निभाता है.
रसायन क्षेत्र, जो ज्ञान और पूंजी बहुल है, औद्योगिक और कृषि विकास का मुख्य आधार है और कपड़ा, कागज, पेंट, साबुन, डिटर्जेंट और फार्मास्युटिकल जैसे डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए अहम कच्चा माल उपलब्ध कराता है. उर्वरक और कृषि रसायन उद्योग खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं और इस प्रकार ये भारत की विकासशील और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसी तरह, सस्ते कपड़े उपलब्ध कराने के लिहाज से सिंथेटिक फाइबर उद्योग अहम है और फार्मास्युटिकल उद्योग देश की बड़ी आबादी को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराती है.