
Guwahati , 14 सितंबर . असम विधानसभा के शरदकालीन अधिवेशन के चौथे दिन आज शून्यकाल के दौरान विधायक रूपेश ग्वाला द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए राज्य के उद्योग मंत्री बिमल बोरा ने कहा कि दुमदुमा में छोटे चाय किसानों के संघ द्वारा उत्पादित कच्ची चाय की पत्तियों के लिए उचित मूल्य की मांग को लेकर हड़ताल किया गया है. चाय कंपनियों के हाथों बिकने संबंधी आरोपों के जवाब में मंत्री ने कहा कि उन्होंने हमें चाय का एक पैकेट भी नहीं पिलाया, बिकना तो दूर की बात है.
Chief Minister डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व वाली वर्तमान State government असम में चाय उद्योग के विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.
यह स्वीकार करते हुए कि चाय उद्योग वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना कर रहा है, मंत्री बोरा ने कहा कि देश भर में चाय का उत्पादन शुरू होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग में कमी के कारण कच्ची चाय की पत्तियों की कीमत में गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि सरकार असम में चाय उद्योग को सभी पहलुओं में सही दिशा में ले जाने के लिए विभिन्न चरणों में विचार कर रही है और इस संबंध में विशेषज्ञों के साथ चर्चा भी की है.
असम कृषि विश्वविद्यालय ने छोटे किसानों के लिए एक विभाग शुरू किया है और चाय उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए इससे बहुमुखी उत्पाद विकसित करने पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग वृक्षारोपण सीमाओं के भीतर वैकल्पिक कृषि पद्धतियों और अन्य समान कृषि पद्धतियों पर चर्चा करने के लिए आईआईटी Guwahati के निदेशक के साथ चर्चा कर रहा है.
सरकार ने छोटे चाय किसानों को कच्ची चाय की पत्तियों का उचित मूल्य पाने में आने वाली कठिनाइयों पर ध्यान दिया है और कच्ची चाय की पत्तियों की कीमत तय करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया है.
असम की अर्थव्यवस्था में छोटे और बड़े सभी चाय क्षेत्रों की समान आवश्यकता है और इसलिए सरकार को सभी को समान महत्व देना चाहिए. मंत्री ने कहा कि सरकार चाय बागानों में चाय की गुणवत्ता में सुधार के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. उन्होंने कहा कि State government ने चाय नीति बनायी है.
उल्लेखनीय है कि असम भारत और दुनिया में चाय उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. भारत के कुल चाय उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक उत्पादन असम में होता है. भारतीय चाय बोर्ड के अनुसार, 2022 में भारत का कुल चाय उत्पादन 1366 मिलियन किलोग्राम था. जबकि, असम में लगभग 690 मिलियन किलोग्राम उत्पादन हुआ. यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह उत्पादन विश्व के कुल उत्पादन 6,422.66 मिलियन का लगभग 11 प्रतिशत है.
टी बोर्ड के मुताबिक 2022 में छोटे चाय किसानों का उत्पादन 328.99 मिलियन किलोग्राम था. जो असम के कुल उत्पादन का लगभग 48 फीसदी है.
असम में 1 लाख 25 हजार से अधिक छोटे चाय किसान हैं और सरकार ने उन्हें एकजुट करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं.
भारतीय चाय बोर्ड और असम सरकार पहले से ही काम कर रही है. भारतीय चाय बोर्ड के पास छोटी जोत वाले चाय किसानों के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं हैं. जिनमें छोटे चाय किसानों के लिए मशीनीकरण, समूहों को सहायता, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सहायता, वार्षिक पुरस्कार, छोटे चाय किसान समूहों को चाय कारखाने स्थापित करने के लिए सब्सिडी, छोटे चाय किसानों को मिनी चाय कारखाने, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण स्थापित करने के लिए सब्सिडी, मृदा परीक्षण, जैविक प्रमाणीकरण, जैविक खेती में रूपांतरण, जैविक उर्वरक तैयार करना आदि.
इसके अलावा, असम सरकार विभिन्न समय पर चाय निदेशालय के माध्यम से छोटे चाय किसानों को सहायता प्रदान करती रही है.
चाय बोर्ड चाय की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन लागत कम करने के लिए छोटे किसानों को नियमित प्रशिक्षण दे रहा है. असम सरकार टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र और असम कृषि विश्वविद्यालय की सहायता से नियमित प्रशिक्षण भी दे रही है.
चाय उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार पहले ही कई कदम उठा चुकी है. असम सरकार ने छोटे चाय किसानों के प्रशिक्षण के लिए 17 करोड़ रुपये के अनुदान से टोकलाई चाय अनुसंधान केंद्र, जोरहाट में एक आधुनिक वैज्ञानिक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण कराया है. वर्ष 2017 से 2020 तक छोटे चाय किसानों को नई चाय की खेती के लिए 11 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई है.
छोटे चाय किसानों को एकीकृत तरीके से स्थापित करने के लिए छोटे चाय किसान समूहों को सब्सिडी प्रदान की गई है. असम सरकार ने अब तक कुल 42 समूहों को इन समूहों को बनाए रखने के लिए कच्चे पत्तों को परिवहन करने वाले वाहनों की खरीद के लिए 27 मिलियन रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है. भारतीय चाय बोर्ड भी समय-समय पर विभिन्न तरीकों से समूहों की सहायता करता रहा है.
/ श्रीप्रकाश
