
एकात्मधाम में होगी भारत की एकात्मकता की दिव्य अनुभूति
Bhopal , 19 सितंबर . आदि गुरु शंकराचार्य (आचार्य शंकर) के व्यक्तित्व, विचार और अद्वैत वेदान्त दर्शन की उनकी दीक्षा भूमि–कर्मभूमि को ओंकारेश्वर में Madhya Pradesh सरकार साकार रुप दे रही है. एकात्म धाम में आचार्य शंकर की प्रतिमा के साथ अलौकिक एकात्म धाम भारत की सांस्कृतिक विरासत से साक्षात्कार कर सकेंगे. ओंकारेश्वर में Thursday , 21 सितम्बर से हो रहे शंकरवातरणम् कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक एकता को सांगीतिक प्रस्तुतियों एवं शैव परम्परा पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से चित्रित किया जाएगा. यह जानकारी Tuesday को जनसम्पर्क अधिकारी अनुराग उइके ने दी.
उन्होंने बताया कि इन आकर्षक और मनोहारी प्रस्तुतियों को देश भर से आने वाले विख्यात कलाकार प्रस्तुत करेंगे. Madhya Pradesh की पावन धरती आचार्य शंकर की दीप्ति से पुनर्प्रकाशित होगी और विविधता में एकता की सांस्कृतिक विरासत इन नृत्यों के माध्यम से जीवंत हो उठेगी.
उन्होंने बताया कि शिवोऽहम में भगवान शिव के नृत्य की प्रस्तुति के साथ भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों के साथ 25 मिनट की कोरियोग्राफिक नृत्य की प्रस्तुति होगी. भारत के 6 शास्त्रीय नृत्य- भरतनाट्यम, कथक, छाऊ, ओडिसी, मोहिनीअट्टम और मणिपुरी नृत्य से शिव की अभिव्यक्तियों को अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत किया जाएगा. इसकी समग्रता में कोरियोग्राफिक समवेत प्रस्तुति के माध्यम से ‘ऊँ’ में संकल्पित होते हुए दर्शाया जाएगा.
शंकरवातरणम् के क्रम में ‘शंकर संगीत’ में श्रेष्ठ संगीतकार, हिन्दुस्तानी संगीत एवं Karnataka संगीत शैली में आचार्य शंकर विरचित स्त्रोतों का गायन करेंगे. इनमें पण्डित संजीव अभ्यंकर (हिन्दुस्तानी संगीत), पण्डित जयतीर्थ मेवुण्डी (हिन्दुस्तानी संगीत), सुधा रघुरामन (Karnataka संगीत) और मामलम बहनें (Karnataka संगीत) प्रस्तुतियाँ देंगी.
कार्यक्रम में शैव परम्परा पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों को देश भर से आए कुल 337 कलाकारों द्वारा मंचित किया जाएगा. साथ ही शंख वादन में 80 कलाकार, Kerala शैली एवं पंचायतन में कुल 95 कलाकार और 250 बटुक वेदपाठियों द्वारा एकात्मता की प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी. भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इन नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से मंचित किया जाएगा. यह महान क्षण ह्रदय प्रदेश Madhya Pradesh से प्रसारित होगा और आचार्य शंकर का शाश्वत मन्त्र शिवोऽहम् एकात्मधाम को निरुपित करने वाली शैव परम्परा की इन नृत्य प्रस्तुतियों से एकात्म धाम और शङ्करवातरणम् में पधारे अतिथि रोमांचित हो उठेंगे.
यक्षगान में Karnataka के 7 कलाकार, खरसवा छाऊ में झारखण्ड के 13, डेरुजंगम में Haryana के 12, पेरिनी शिवतांडवम् में तेलंगाना के 13, घण्टा व मृदंगम् में ओडीसा के 13, ढोलूकुनीता में Karnataka के 13, ओग्गूडोलू में तेलंगाना के 13, गुरू वायाय्यलू में आन्ध्रप्रदेश के 11, शिवबारात में Uttar Pradesh के 10, श्मसान होली व अघोरी में Uttar Pradesh के 10, डमरू (बड़े) वादन में Uttar Pradesh के 20, पुरलिया छाऊ में West Bengal के 13, छम नृत्य में हिमाचल/लेह लद्दाख के 8, कथकली में Kerala के 10, तैयम में Kerala के 10, हिल जाला में Uttarakhandके 13, मोनपा नृत्य में अरूणाचल प्रदेश के 10 और सिघी छम में सिक्किम-मानेस्ट्री के 8 कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे. वहीं कथक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम,ओडिसी नृत्य में 20 20 कलाकारों की संख्या में नृत्य प्रस्तुतियाँ होंगी. साथ ही समकालीन नृत्य में 50 कलाकार प्रस्तुतियाँ देंगे. शंख वादन की प्रस्तुतियों में असम शंख में 20, भोरताल एवं बड़ी झाँझ असम में 20, मणिपुरी शंख एवं पुंग में 20 और जोडी शंख ओडीसा में 20 कलाकारों सहित कुल 80 कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियाँ होंगी.
