अहमदाबाद (Ahmedabad) . राज्य में कोरोना का कहर कम होने पर कक्षा 9, 10, 11 और 12 की स्कूलें शुरू करने का गुजरात (Gujarat) सरकार ने फैसला किया है. कोरोना संकट के बीच शुरू हो रही स्कूलों के लिए 56 पन्नों की एसओपी तैयार कर सरकार ने प्रत्येक स्कूल संचालकों को भेज दी है. 56 पन्नों की एसओपी पढ़ना और समझना स्कूल संचालकों के लिए मुश्किल है. इसके बावजूद स्कूल संचालक और शिक्षक भी तैयार हैं. तीन-तीन दिन के बैंच में कक्षा 9-10 और 11-12 के विद्यार्थियों को पढ़ाने का तय किया गया है. इसके लिए भी अभिभावक का सहमति पत्र नहीं होगा तो विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश नहीं मिलेगा.
कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल संचालकों ने तैयारियां कर ली हैं. कक्षा व्यवस्था, विद्यार्थियों के बीच दूरी इत्यादि का आयोजन कर लिया है. लेकिन दीपावली त्यौहारों के बाद कोरोना का कहर बढ़ता देख अभिभावक अपनी संतानों के स्वास्थ्य लेकर चिंतित हैं. बता दें कि नवंबर के शुरुआती दिनों में राज्य में कोरोना के मामले कम होते देख गुजरात (Gujarat) सरकार ने 23 नवंबर से स्कूल-कॉलेज शुरू करने का फैसला किया था. लेकिन दीपावली त्यौहारों के आते आते और उसके बाद राज्य में कोरोना के विस्फोट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. नवंबर के शुरुआती दिनों में कोरोना का आंकड़ा का नियमित आंकड़ा एक हजार के नीचे चला गया था, जो 18 नवंबर को बढ़कर 1281 पर पहुंच गया. इन परिस्थितियों में अभिभावकों में अपनी संतानों को लेकर चिंता है.
कई अभिभावकों कहना है कि सरकार ने जब स्कूल शुरू करने का फैसला किया था, तब स्थिति अलग थी और आज अलग है. राज्य में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है और स्थिति गंभीर होती जा रही है. जिसे देखते हुए सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. अभिभावकों का यह भी कहना है कि उनकी संतानें जीवित रहेंगी तो पढ़ाई कर सकेंगी. संतानों के संक्रमित होने का सीधा असर उनके परिवार पर पड़ेगा. इसलिए फिलहाल विद्यार्थियों को स्कूल नहीं बुलाना चाहिए. गौरतलब है बीते दिन अहमदाबाद (Ahmedabad) मेडिकल एसोसिएशन ने भी 23 नवंबर से स्कूल शुरू करने के फैसले पर सरकार से पुनर्विचार करने की सलाह दी थी.