इस्लामाबाद . भारत के खिलाफ चीन का साथ देने वाले व ड्रैगन को अपनी जमीन इस्तेमाल करने की इजाजत देने वाला पाकिस्तान अब खुद को ठगा महसूस कर रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर चुप्पी तोड़कर पाकिस्तान ने कहा कि चीन ने सीपीईसी की किसी भी बुनियादी परियोजना के लिए फंड नहीं दिया है.
यह जानकारी परियोजनाओं पर सीनेट की विशेष समिति ने दी. पाकिस्तान योजना मंत्रालय में परिवहन योजना के प्रमुख सीनेटर सिकंदर मंदरू ने समिति की बैठक के दौरान कहा कि सीपीईसी की फंडिंग नहीं होने के कारण खुजदार-बसीमा परियोजना सहित कुछ परियोजनाओं को संघीय वित्तीय कोषों से बाहर किया जा रहा था. समिति के सदस्य सीनेटर कबीर अहमद शाही ने बताया कि सीपीईसी पर केवल कागजी कार्रवाई की गई थी. उन्होंने कहा, “परियोजना इस तरह से शुरू हुई कि एक चौकीदार के साथ एक तम्बू लगाया गया था. न्यू ग्वादर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के चारों ओर की बाड़ एक जर्जर इमारत है.” इसके अलावा, ग्वादर स्मार्ट पोर्ट सिटी मास्टर प्लान के तहत परियोजनाएं शुरू नहीं की गई हैं.
बता दें कि 2015 में, चीन ने पाकिस्तान में सीपीईसी के तहत 46 बिलियन अमरीकी डॉलर (Dollar) की आर्थिक परियोजना की घोषणा की थी. बीजिंग का उद्देश्य अमेरिका और भारत के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ मध्य और दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना है. सीपीईसीपाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह (626 किलोमीटर, कराची से 389 मील पश्चिम) को अरब सागर में चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ता होगा. इसमें चीन और मध्य पूर्व के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइन लिंक बनाने की योजना भी शामिल है.