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कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज एमिकस क्युरी नियुक्त
New Delhi, 18 सितम्बर . दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में इस वर्ष दाखिला क्लैट 2022 के स्कोर के आधार पर करने की अनुमति दे दी है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले पर विस्तार से सुनने की जरूरत है. कोर्ट ने इस मामले पर कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.
कोर्ट ने ये आदेश देते समय इस तथ्य पर गौर किया कि दूसरे कोर्सेस के क्लासेस शुरू हो चुकी हैं और कोर्ट में इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा कि जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पांच साल के लॉ कोर्स की अनुमति दी थी, उस समय कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के प्रोस्पेक्टस में इस कोर्स का उल्लेख नहीं था.
सुनवाई के दौरान Central Governmentऔर यूजीसी ने कहा कि नई शिक्षा नीति और यूजीसी की 566वीं बैठक के मुताबिक सीयूईटी सामान्य डिग्री के लिए बाध्यकारी है. Central Governmentकी ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता है कि वे लॉ, मेडिसिन, मैनेजमेंट जैसे प्रोफेसशनल कोर्सेस के लिए क्लैट, नीट या दूसरी परीक्षाओं के स्कोर को आधार बना सकते हैं. तब कोर्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दा ये है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला केवल सीयूईटी के आधार पर मिलेगा या वे दूसरी परीक्षाओं को भी आधार बना सकते हैं.
दरअसल, हाई कोर्ट दिल्ली यूनिवर्सिटी के नवीनतम पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के परिणाम के आधार पर ही करने संबंधी नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इसके पहले 17 अगस्त को कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नवीनतम पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के परिणाम के आधार पर ही करने संबंधी नोटिफिकेशन पर नाखुशी जताई थी. कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि जब दूसरे यूनिवर्सिटीज सीयूईटी के रिजल्ट के आधार पर दाखिला दे रहे हैं तो दिल्ली यूनिवर्सिटी क्लैट के जरिये ही क्यों दाखिला ले रहा है.
यह याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंड प्रिंस सिंह ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी को अपने पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला सीयूईटी परीक्षा के स्कोर के आधार पर करना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि यूजीसी ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने अंडरग्रेजुएट दाखिले सीयूईटी के स्कोर के आधार पर करने का निर्देश दिया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने बाकी सभी कोर्सेस के लिए सीयूईटी को आधार बना रही है लेकिन पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस के लिए क्लैट के स्कोर को आधार बना रही है. ऐसा करने से कुछ खास छात्रों को ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के पांच वर्षीय कोर्ट में दाखिला मिल पाएगा.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने 26 जुलाई को दिल्ली यूनिवर्सिटी में पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस के लिए साठ सीटों पर दाखिले की अनुमति दे दी थी. उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के स्कोर के आधार पर होगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी के इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
/संजय
