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यमुनानगर: 1857 की क्रांति के सूत्रधार थे स्वामी दयानंद: सुरेन्द्र कुमार

1857 की क्रांति के सूत्रधार थे स्वामी दयानंद
1857 की क्रांति के सूत्रधार थे स्वामी दयानंद

यमुनानगर, 18 सितंबर . सामाजिक समरसता मंच छप्पर खंड इकाई द्वारा Monday को गांव छप्पर में स्वामी दयानंद के 200वे जन्मोत्सव के निमित समरसता गोष्ठी का आयोजन किया गया. 11 गांवों से आए प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए समरसता मंच के विभाग संयोजक सुरेंद्र कुमार एडवोकेट ने कहा कि स्वामी दयानंद समाज सुधारक के साथ-साथ राष्ट्रभक्त योद्धा और सन्यासी भी थे.

उन्होंने क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन करते हुए 1857 की क्रांति का सूत्रपात किया. वह अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकना चाहते थे. इसलिए 1857 की क्रांति की अलख जगाने के लिए उन्होंने आबू पर्वत से Haridwar तक यात्रा में स्थान-स्थान पर प्रवचन करके अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को जागृत किया. उन्होंने कहा कि दयानंद Haridwar में एकांत स्थान पर रहकर क्रांतिकारियों के संपर्क में रहते थे. वहीं रह कर उन्होंने 1857 की क्रांति की योजना तैयार की. साधु संतों का भी एक संगठन स्वामी दयानंद ने बनाया. संतों ने गांव-गांव जाकर लोगों को क्रांति के बारे में जागृत किया.

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गुरुकुल कुरुक्षेत्र से आए आर्य समाज के प्रचारक जयपाल ने भजनों के माध्यम से स्वामी दयानंद के जीवन पर प्रकाश डाला. समरसता मंच के संरक्षक जिला संघचालक मान सिंह ने कहा कि एक बार सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि स्वामी दयानंद ने ही 1857 की क्रांति की नींव रखी थी. वीर सावरकर ने भी स्वामी दयानंद को 1857 की क्रांति का वीर योद्धा कहा था. जिला सह संयोजक रविंद्र सैनी ने बताया कि अगले दो वर्ष तक स्वामी दयानंद जयंती कार्यक्रम जिलेभर में चलेंगे. इस अवसर पर खंड संयोजक ओम प्रकाश सरपंच सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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/अवतार/सुमन

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