
New Delhi, 05 सितंबर . देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना सब कुछ बलिदान करने वाले अनाम एवं अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में आयोजित की जा रही क्रांतितीर्थ शृंखला के अंतर्गत दिल्ली स्थित शिवाजी कॉलेज में Tuesday को ‘टेक्नोस्पीक’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
शिवाजी कालेज के प्राचार्य प्रो. वीरेंद्र भारद्वाज तथा मुख्य वक्ता डॉ. सुशील कुमार ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया. विद्यार्थियों ने 2047 में भारत कैसा होना चाहिए- विषय पर अपने विचार रखे . साथ ही विद्यार्थियों ने स्वप्नों को पूरा करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रयत्नों पर विस्तार से चर्चा की.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुशील कुमार ने क्रांतितीर्थ के प्रायोजन और स्वतंत्रता संग्राम के कुछ अनछुए पहलुओं से अवगत करते हुए कहा कि हमारे देश में ऐसे हजारों वीर-वीरांगनाएं हैं, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया . दुर्भाग्य यह है कि इतिहास के पृष्ठों में उन्हें या तो उचित स्थान नहीं मिला या फिर उन्हें नजरअंदाज किया गया. आजादी के अमृत महोत्सव में ऐसे अल्पज्ञात एवं अज्ञात वीरों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही उन्हें याद किया जा रहा है . इसी परिप्रेक्ष्य में ”टेक्नोस्पीक” कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालयों में किया जा रहा है. ”टेक्नोस्पीक” का विषय हमारे परिप्रेक्ष्य में 2047 का भारत है और इसके माध्यम से छात्र-छात्राओं के विचार सामने आ रहे हैं, जो देश को एक नई दृष्टि प्रदान करेंगे .
उल्लेखनीय है कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए हजारों वीर सिपाहियों और क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की भेंट चढ़ा दी लेकिन उनकी गाथाओं को इतिहास के पृष्ठों में स्थान नहीं मिला. Central Governmentके संस्कृति मंत्रालय और सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज (सीएआरडीसी) ने स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे गुमनाम एवं अल्पज्ञात सेनानियों की वीरगाथा को आम जनता के सामने लाने का बीड़ा उठाया है. ”आजादी के अमृत महोत्सव” के अवसर पर क्रान्तितीर्थ शृंखला के अंतर्गत यूथ फॉर नेशन के सहयोग से ”टेक्नोस्पीक” कार्यक्रम महाविद्यालयों में आयोजित किया जा रहा है, जिसका विषय है हमारे परिप्रेक्ष्य में 2047 का भारत.
/सुशील
