
–हाईकोर्ट 26 सितम्बर को फिर करेगी सुनवाई
प्रयागराज, 18 सितम्बर . इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में हाजिर महाधिवक्ता, अपर महाधिवक्ता एवं मुख्य स्थाई अधिवक्ता से कहा कि वह Mathura में बांके बिहारी मंदिर के पास दर्शनार्थियों के निर्बाध दर्शन को लेकर कॉरिडोर बनाने के मामले में एक बार फिर याचिकाकर्ताओं व अन्य दावेदारों के साथ बैठकर मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का हल निकाले.
चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर एवं जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 26 सितम्बर की तिथि नियत की है. उस दिन कोर्ट इस केस की सुनवाई सुबह 9 बजे से शुरू करेगी.
प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया की कॉरिडोर को लेकर एक व्यापक प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है और उसे पर खर्च होने वाले धन के लिए भी व्यवस्था की जा रही है. कहा गया कि इस पर 500 करोड़ से भी अधिक खर्च होने की उम्मीद है. सरकार की तरफ से कहा गया कि इसमें किसी का कोई नुकसान नहीं है और सरकार भूमि अधिग्रहण आदि के खर्चे से निपटने के लिए मंदिर में चढ़ रहे चढ़ावा आदि का भी उपयोग करने की उसकी योजना है. सरकार की तरफ से कहा गया कि जो भी भूमि अधिग्रहित होगी वह सब भगवान के नाम से होगा सरकार के नाम से कुछ भी नहीं होगा.
दूसरी तरफ सरकार की इस योजना का यह कहते हुए विरोध किया गया कि मंदिर के पुजारियों व गोस्वामियों को कॉरिडोर बनाने और जनता की सुरक्षा को देखते हुए समुचित इंतजाम करने का उनका कोई विरोध नहीं है. कहां गया की विरोध केवल इस बात का है की सरकार मंदिर के अंदर भगवान की पूजा व व्यवस्था तथा उनके चढ़ावे में हस्तक्षेप करना चाह रही है, जो गलत होगा एवं इस संबंध में सिविल कोर्ट द्वारा पारित डिक्री के खिलाफ है. कहा यह भी गया कि भगवान बांके बिहारी वहा बाल स्वरूप में है इसलिए उनके दर्शन का निर्धारित समय उनके बाल स्वरूप को देखते हुए तय किया गया है. याचिका कर्ताओं का कहना था बांके बिहारी मंदिर उनका है और ऐसे में सरकार उनके किसी भी व्यक्तिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. सरकार को अगर कॉरिडोर बनाना है तो वह बनाए परंतु इसके लिए वह स्वयं अपने संसाधनों का उपयोग करे.
बहरहाल कोर्ट ने दोनों पक्षों को एक बार फिर से बैठकर आपसी सहमत से इस समस्या का निदान ढूंढने को कहा है तथा याचिका पर सुनवाई के लिए 26 सितम्बर की तिथि निर्धारित की है. कोर्ट ने यह आदेश अनंत शर्मा, मधु मंगल दास तथा कई अन्य की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर पारित किया.
/आर.एन/विद्याकांत
