लंदन . जलवायु परिवर्तन इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती है. अब यूनाइटेड नेशंस धरती को बचाने के लिए धर्म की शरण में आ गया है. यूएन एन्वायरमेंट प्रोग्राम के तहत ‘फेथ फॉर अर्थÓ अभियान शुरू किया गया है. इसका मकसद दुनियाभर के धार्मिक संगठन, धर्मगुरुओं और आध्यात्मिक नेताओं की मदद से 2030 तक धरती के 30 फीसदी हिस्से को प्राकृतिक परिस्थिति में बदलने का लक्ष्य है. इस कार्यक्रम के निदेशक डॉ. इयाद अबु मोगली कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन मानव समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसके बावजूद अभी तक दुनिया की ज्यादातर आबादी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नहीं हो पाई है.
जलवायु परिवर्तन रोकने के तमाम प्रयासों के निष्कर्ष से हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सिर्फ धर्म में ही वह शक्ति है, जो दुनिया की बड़ी आबादी को पर्यावरण योद्धा बना सकता है. डॉ. इयाद ये भी कहते है कि विज्ञान आंकड़े तो दे सकता है, मगर आस्था ही धरती बचाने का जुनून पैदा कर सकती है. डॉ. इयाद का मानना है कि विज्ञान और धार्मिक आस्था में ठीक वैसा ही संबंध हैं, जैसा ज्ञान और क्रियान्वयन में है. एक के बिना दूसरा अधूरा है. यही फेथ फॉर अर्थ अभियान शुरू करने के पीछे का मूल विचार है.