
Lucknow, 19 सितम्बर . Uttar Pradesh की योगी सरकार ने एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया लिमिटेड (एआरसीआईएल) से Ghaziabad के औद्योगिक क्षेत्र सूरजपुर स्थित औद्योगिक प्लॉट नंबर ए-1 पर बकाया भुगतान के साथ ही प्लॉट की खरीद के लिए उसे प्राथमिकता दिए जाने की मांग की है. प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) मनोज कुमार सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि Uttar Pradesh राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) का संपत्ति में गंभीर हित निहित है. इसे ध्यान में रखते हुए, यूपीसीडा के बकायों का भुगतान किया जाना चाहिए और प्राधिकरण को प्लॉट खरीदने का विकल्प भी दिया जाना चाहिए.
साथ ही, यह भी अपील की गई है कि संपत्ति पर उच्चतम बोलीदाता द्वारा लगाई गई कीमत या बोली रद की जानी चाहिए और यूपीसीडा को बोली में भाग लेने की अनुमति देने के लिए प्लॉट की बोली फिर से लगाई जानी चाहिए. उल्लेखनीय है कि यूपीसीडा का प्लॉट पर 31 मार्च 2023 तक कुल बकाया 777.84 करोड़ रुपए है, जिसमें ट्रांसफर चार्ज, ब्याज, लीज रेंट, टाइम एक्सटेंशन फीस आदि शामिल हैं. इसके अलावा, यूपीसीडा ने प्लॉट की पुनर्खरीद की भी इच्छा जाहिर की है. इस भूखंड का कुल आकार 82.56 हेक्टेयर (204 एकड़) है जिसका कवर एरिया 19.65 प्रतिशत था. यह यूपीसीडा की ही प्रॉपर्टी थी, जिसे 06 जुलाई 1982 को मैसर्स डीसीएम टोयोटा लिमिटेड को आवंटित किया गया था.
यूपीसीडा के ऑफर से भी कम में हो रही डील
आईआईडीसी मनोज कुमार सिंह ने आशंका जताई है कि रिकवरी अधिकारी, डीआरटी-2, Mumbai मैसर्स शकुंतलम लैंडक्राफ्ट प्रा. लि. के पक्ष में 359 करोड़ रुपए की राशि में बिक्री को अंतिम रूप दे रहा है. यह कीमत यूपीसीडा द्वारा की गई आरक्षित मूल्य से 10 प्रतिशत अधिक की पेशकश से बहुत कम है जो कि 390.50 करोड़ रुपए है. 23 नवंबर 2020 को यूपीसीडा की बोर्ड बैठक में यूपीसीडा को 350 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य से 10 प्रतिशत अधिक राशि के साथ डीआरटी के नेतृत्व वाली नीलामी में भाग लेने के लिए अधिकृत करने का निर्णय लिया गया था.
यूपीसीडा की ओर से 23 जनवरी 2023 को एक पत्र भेजकर प्लॉट की पुनर्खरीद के लिए प्रस्ताव मांगा गया था. एआरसीआईएल ने यूपीसीडा के उस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया. रिकवरी अधिकारी, ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने 06 जुलाई 2023 को 355 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य के साथ फिर से बिक्री नोटिस जारी किया. बिक्री नोटिस में यह उल्लेख किया गया था कि डीआरटी न्यायालय में प्राधिकरण के 777.84 करोड़ रुपए के बकाए के बारे में एक मामला लंबित है, जिसके बारे में एआरसीआईएल में अपील दायर की गई है. यूपीसीडा ने 22 अगस्त 2023 को ई-मेल के माध्यम से डीआरटी को बोली में भाग लेने की अपनी इच्छा के बारे में लिखा और बोली की नियत तारीख को पुनर्निर्धारित करने का अनुरोध किया था. हालांकि, बाद में पता चला कि डीआरटी ने प्राधिकरण के अनुरोधों को स्वीकार किए बिना ही बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी.
1982 में डीसीएम टोयोटा लिमिटेड को आवंटित हुआ था भूखंड
दरअसल, यह भूखंड Uttar Pradesh राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) (अब Uttar Pradesh औद्योगिक विकास प्राधिकरण-यूपीसीडा) द्वारा 06 जुलाई 1982 को मैसर्स डीसीएम टोयोटा लिमिटेड को आवंटित किया गया था. 05 अप्रैल 1989 को आईसीआईसीआई Bank के पक्ष में भूखंड को गिरवी रखने की अनुमति दी गई थी. कंपनी के संविधान में मैसर्स डीसीएम टोयोटा लिमिटेड से बदलकर मैसर्स देवू मोटर्स इंडिया लिमिटेड कर दिया गया था. नाम परिवर्तन के लिए 6.97 करोड़ रुपए की हस्तांतरण लेवी के साथ अनुमति प्रदान की गई थी. मेसर्स देवू मोटर्स ने अभी तक यूपीएसआईडीसी को वसूले गए ट्रांसफर लेवी का भुगतान नहीं किया है. डीआरटी, Mumbai ने इस जमीन को मैसर्स पेन इंडिया मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया. यूपीएसआईडीसी ने 28 जून 2010 के पत्र के माध्यम से 8.36 करोड़ रुपए की हस्तांतरण लेवी और 22.24 करोड़ रुपए की पूर्व देय राशि के भुगतान के साथ हस्तांतरण के लिए सहमति प्रदान की. मेसर्स पेन इंडिया ने ट्रांसफर लेवी का 25ः यानी 2.12 करोड़ रुपए जमा किए और यूपीसीडा के बकाए का आगे कोई भुगतान नहीं किया. 31 मार्च 2023 तक प्लॉट पर कुल बकाया 777.84 करोड़ रुपए है, जिसका भुगतान मेसर्स पेन इंडिया मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड को करना था. यूपीसीडा ने डीआरटी कोर्ट और एआरसीआईएल को उपरोक्त स्थिति और लंबित बकाया राशि के बारे में लिखित रूप से अवगत कराया है.
/पीएन द्विवेदी/दिलीप
