New Delhi, 29 जून (Udaipur Kiran) . भारतीय मुद्रा रुपया एक दशक पहले तक एशिया की सबसे अस्थिर मुद्राओं में शुमार किया जाता था. लेकिन, अब रुपया को सबसे स्थिर मुद्राओं में शुमार किया जाने लगा है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. ये भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, प्रभावी नीतिगत सुधार और विदेशी मुद्रा भंडार के रणनीतिक प्रबंधन को दर्शाता है.
आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि 2010 के दशक की शुरुआत में भारत में महंगाई आसमान छू रही थी, महंगाई दर बढ़कर करीब 10 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. वैश्विक वित्तीय संकट के बीच सरकार द्वारा भारी-भरकम खर्च से स्थिति ज्यादा बदतर हो गई थी. लेकिन वर्ष 2014 में Prime Minister Narendra Modi के देश की सत्ता संभालने के बाद अब तक भारत में आर्थिक विकास पहले से काफी बेहतर हुई है. इसके साथ ही भारत ने कई अन्य देशों को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन गया है, जो अब तीसरी बड़ी अर्थव्यस्था बनने की ओर अग्रसर है.
केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई Narendra Modi की अगुवाई वाली सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई राजनीतिक स्थिरता ने भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है. Central Governmentद्वारा Reserve Bank of India को महंगाई का लक्ष्य तय करने का काम सौंपने और बजट घाटे को कम करने सहित देश में आर्थिक सुधारों को निरंतर लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था काफी मजबूत हो गई है. पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था 8 फीसदी की दर से बढ़ी है. वहीं, चालू वित्त वर्ष 2024-25 में Reserve Bank of India ने सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जबकि फिच सहित कई रेटिंग एजेंसियों ने आर्थिक वृद्धि दर 6.8 फीसदी से 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर-
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडारों में शामिल है. Reserve Bank of India रणनीतिक तरीका अपनाते हुए रुपये के मजबूत होने पर Dollar खरीदता रहा है और रुपये के कमजोर होने पर इसे बेचता रहा है. इस उपाय से रुपये के मूल्य में व्यापक उतार-चढ़ाव को सुचारु करने में मदद मिलती है, जिससे इसकी स्थिरता में काफी योगदान मिलता है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 जून को समाप्त हफ्ते में 81.6 करोड़ Dollar से बढ़कर 653.71 अरब Dollar पर पहुंच गया है, जबकि 7 जून, 2024 को समाप्त हफ्ते में यह 655.82 अरब Dollar के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर था.
रुपये के अंतरराष्ट्रीय उपयोग को बढ़ावा दे रहा भारत-
भारत अपनी मुद्रा रुपये को मजबूत बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उपयोग, विशेषकर व्यापार बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. रुपये की वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने से इसके मूल्य में और स्थिरता आ सकती है. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व Bank (Reserve Bank of India ) भविष्य के प्रवाह को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के लिए अपने उपकरणों को उन्नत कर रहा है. हालांकि, अंतरBank विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया Friday को Dollar के मुकाबले सात पैसे मजबूत होकर 83.38 (अस्थायी) प्रति Dollar पर बंद हुआ. विदेशी संस्थागत निवेशकों के ताजा निवेश के बीच रुपये में तेजी रही है. इस तरह भारतीय रुपया का एशिया की सबसे अस्थिर मुद्राओं की बजाय सबसे स्थिर मुद्राओं में शामिल हो जाना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है.
(Udaipur Kiran) /प्रजेश शंकर/रामानुज