सितंबर स्पंदन: जेकेके में बुना गया गुलाबी हसरतों का ताना-बाना

सितंबर स्पंदन: जेकेके में बुना गया गुलाबी हसरतों का ताना-बाना

jaipur, 17 सितंबर . ‘आरज़ूएँ, ख्वाहिशें, अरमान और चाहत रहे, दिल तभी तक दिल है जब तक इसमें इक हसरत रहे’, कुछ ऐसे ही जज्बातों के साथ जवाहर कला केन्द्र में Sunday को फिल्मी जगत में jaipur का नाम रोशन करने वाले मशहूर शायर और गीतकार हसरत jaipurी को याद किया गया. मौका था साहित्य, संगीत और सिनेमा को समर्पित सितंबर स्पंदन में कला संसार मधुरम के तहत हसरत jaipurी की स्मृति में आयोजित संवाद प्रवाह और संगीत संध्या का.

संवाद प्रवाह में साहित्यकार और कला मर्मज्ञ इकराम राजस्थानी (अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी), फिल्म लेखक-गीतकार दुष्यंत और सिने विश्लेषक नवल व्यास ने jaipurी के फिल्मी सफर और गीतों की खूबSuratी पर चर्चा की, वहीं रहमान हरफनमौला ने अपनी सुरीली आवाज़ में उनके गीत महफिल में पेश किए. इस दौरान केन्द्र की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधावत, आईएएस नवीन जैन, आईएएस समित शर्मा अन्य गणमान्य लोग व कला प्रेमी मौजूद रहे. प्रियंका जोधावत ने कहा कि सितंबर स्पंदन सफल मुहिम बनकर उभरा है, कला संसार मधुरम के तहत केन्द्र इस तरह के आयोजन करता रहेगा.

  हॉर्स राइडिंग समर कैम्प शुरू, घुड़सवारी के सिखाएंगे गुर

‘हसरत की हसरतों का ठिकाना है बस jaipur’

इकराम राजस्थानी ने कहा कि हसरत jaipur की शान है, उनके नाम से शहर को पहचाना जाता है. उन्होंने कहा कि गीतकार ही है जो कागज पर दिल के भाव उतारने का हुनर रखता है, हसरत jaipurी के गीतों से तो लोग आज तक अपने भाव जोड़ते है अपने दिल के जज्बात ढूंढ रहे हैं. उन्होंने कहा कि फिल्मों के लिए गीत लिखना आसान नहीं है, हसरत jaipurी की खासियत ये रही कि वे हर गीत के लिए नए शब्द इजात करते थे, उनके गीत अमर है, आज तक लोग उनकी कसमे खाते हैं. jaipur में हसरत की हवेली को लेकर उन्होंने कहा कि ‘उल्फत की, मोहब्बत की, चाहत की हवेली है, हसरत से देखो इसे ये हसरत की हवेली है.’ हसरत jaipurी के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए jaipur के प्रति हसरत के कहे शब्दों को उन्होंने दोहराया,’जाऊँ कहीं भी मुझे आना है बस jaipur, हसरत की हसरतों का ठिकाना है बस jaipur.’

  दोस्तों से झगड़े के बाद दस साल की बच्ची ने किया सुसाइड

‘लोकगीत है हसरत jaipurी के गीत’

वहीं दुष्यंत ने कहा कि फिल्मों में लिखने के लिए हसरत jaipurी के गीतों ने प्रेरित किया, Mumbai में रहकर ये कहते हुए बड़ा गर्व होता है कि हसरत jaipurी मेरे शहर के हैं. उन्होंने कहा कि गीतकार भले ही पर्दे के पीछे रहता हो पर उसके गीत दिल से सीधे टकराते हैं इसलिए लोग हमेशा उसे दिल में जगह देते हैं. उन्होंने कहा कि हसरत jaipurी के गीत लोकगीतों की तरह है.

‘हसरत के तीन गीतों पर मो. रफी को फिल्म फेयर’

नवल व्यास ने कहा कि यह jaipur के लिए बोनस है कि हसरत जैसे कलाकार ने यहां जन्म लिया. हसरत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि प्रेम में सफलता न मिलने पर हसरत ने Mumbai की ओर कदम बढ़ाए. वहां कंडक्टरी की, jaipur की मिट्टी के खिलौने बेचे, मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर की नज़र उन पर पड़ी. पृथ्वीराज कपूर के कहने पर राजकपूर ने उनसे अपनी फिल्म ‘बरसात’ में ‘जिया बेकरार’ है गीत लिखवाया, इसके बाद हसरत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने गीतों की बदौलत रोमांस के बादशाह कहलाए. उन्होंने बताया कि हसरत को दो फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाज़ा गया, मो. रफी को जिन 6 गीतों के लिए फिल्म फेयर मिला उनमें से तीन हसरत jaipurी के थे.

  सलूम्बर कलक्टर ने घर घर जाकर पूछा पानी

सुरीले तरानों से सजी शाम

संवाद प्रवाह के बाद रहमान हरफनमौला ने अपनी सुरीली आवाज़ में हसरत jaipurी के गीतों से महफिल को सजाया. उन्होंने ‘तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा है’ गीत से शुरुआत की और श्रोताओं को अपने सुरीले सफर का साथी बना लिया. रहमान ने ‘जी ऐसा मौका कहां मिलेगा’, ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’, ‘जिंदगी इक सफर है सुहाना’, ‘जाने कहा गए वो दिन’ सरीखे गीत पेश किए. उनके साथ अब्दुल रशीद, शेर मोहम्मद, नरेन्द्र सिंह और नरेन्द्र बालोदिया क्रमश: सैक्सोफोन, अकॉर्डियन, तबला और ऑक्टोपैड पर संगत की. आईएएस समित शर्मा ने भी हसरत jaipurी के कुछ गीत पेश किए.

सैनी/ईश्वर