Banswara , 4 मई (Udaipur Kiran) . गर्मी की शुरुआत होने के साथ ही सौ द्वीपों के शहर के नाम से मशहूर और Rajasthan का चेरापूंजी कहा जाने वाले जनजाति जिले Banswara के दूरस्थ और सीमावर्ती गांवों में पेयजल संकट के हालात बनने शुरू हो गए हैं. ग्रामीण सुबह से लेकर तपती दुपहरी तक पानी का जुगाड़ करने में जुटे हैं. जिले में Banswara , कुशलगढ़, सज्जनगढ़ और छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र इससे सर्वाधिक प्रभावित है.
इन दिनों सुबह दस बजे के आसपास ही गर्मी का अहसास हो रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. तेज गर्मी के बीच पानी के लिए महिलाओं की भागदौड़ भी बढ़ रही है. सबसे अधिक संकट की स्थिति Banswara और कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों में हैं. वहीं Banswara विधानसभा क्षेत्र के छोटी सरवन और आंबापुरा क्षेत्र में भी कमोबेश यही हालात हैं. माही बांध के किनारे स्थित इस क्षेत्र की स्थिति जल बीच मीन प्यासी जैसी है. यहां बिखरी बस्तियां हैं और इनमें रहने वाली महिलाएं सुबह से ही पानी का जुगाड़ करने निकल जाती हैं. इन दिनों स्कूल बंद होने से बच्चे भी घर में जो बर्तन हाथ आया, उसे लेकर साथ जा रहे हैं. जल संकट के बीच जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का दावा है कि जिले में स्थिति नियंत्रण में हैं. शहर से तीस किलोमीटर दूरी पर स्थित फरात पाड़ा गांव में पेयजल के लिए हैंडपंप हैं, लेकिन उससे पानी नहीं आ रहा है. हर घर नल योजना भी यहां दम दौड़ती हुई नजर आ रही है.
अमूमन हर साल नॉन कमांड क्षेत्र में 1 अप्रैल से टैंकरों से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाती है, लेकिन इस वर्ष अभी तक पानी के टैंकर शुरू नहीं किए हैं, जिसका खमियाजा दो दर्जन ग्राम पंचायतों की करीब एक लाख से अधिक जनता को भुगतना पड़ रहा है. जिले के पाटन, सरोना, पंचायत छोटी सरवा, भंवरदा, मोहकमपुरा, बिजौरी आदि पंचायतों में पानी की भारी किल्लत हो रही है. ग्राम पंचायतों का तर्क है कि अभी तक प्रशासनिक स्वीकृति जारी नहीं होने से उनके क्षेत्र में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है और लोगों को दूर दराज क्षेत्र से पानी लाना पड़ रहा है.
जिला Collector डॉ इंद्रजीत यादव ने कहा कि जहां-जहां पेयजल के संकट की जानकारी मिल रही है, वहां पर ग्राम पंचायत के माध्यम से टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाने के लिए निर्देश दे दिए हैं और जल्द ही इसका लाभ लोगों को मिलने लगेगा.
/सुभाष