कन्नौज : जनता की आवाज, देश-प्रदेश के लिए मोदी-योगी लेकिन कन्नौज के लिए अखिलेश जरूरी

कन्नौज: देश प्रदेश के लिए मोदी योगी किन्तु कन्नौज के लिए अखिलेश जरूरी

कन्नौज, 06 मई (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh की हाई प्रोफाइल Lok Sabha सीट कन्नौज का जायजा लेने की कोशिश की गई. यहां से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रत्याशी हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा Member of parliament सुब्रत पाठक मैदान में हैं. दोनों ही नेता अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. दोनों नेताओं को लेकर यहां की जनता क्या सोचती है वह जानने के लिए (Udaipur Kiran) ने इत्र नगरी के अलग-अलग हिस्सों में गए और उनकी चुनावी राय जानी.

देश-विदेश में अपनी खुशबू महकाने वाले कन्नौज के युवाओं से बात की, बुजुर्गों को सुना और उनकी चुनावी इरादा टटूला. कन्नौज के लोकल मुद्दों से लेकर उन राष्ट्रीय मुद्दों को भी समझा, जो यहां निर्णायक साबित होंगी. जनता ने क्या कहा आइए जानते हैं उन्हीं के जुबानी….

देश के लिए योगी-मोदी लेकिन कन्नौज में अखिलेश ठीक

कन्नौज शहर में सुबह-सुबह टीम पहुंची तो हमारी मुलाकात भारत दुबे से हुई. भारत बीजेपी के कार्यकर्ता हैं. वह कहते हैं, देश में तो योगी-मोदी की लहर चल रही है. कन्नौज का समीकरण अलग है. यहां का मुकाबला 60-40 का हो गया है. अखिलेश के आने से वह लगातार बढ़ता जाएगा. हमने कहा कि आप बीजेपी कार्यकर्ता हैं तो वह कहते हैं कि अखिलेश ने कन्नौज को घर जैसा स्नेह दिया. कभी चश्मा लगाकर राजनीति नहीं की. उन्होंने कन्नौज में इंजीनियरिंग कॉलेज, ब्रिज, सड़क सबकुछ दिया. इसलिए यहां लोग उन्हें ही वोट करेंगे.

दोनों धुरंधर इसलिए मुकाबला कड़ा

विनय से हमने रोजगार को लेकर सवाल किया. वह कहते हैं, युवाओं के लिए नौकरी ही सबसे बड़ा मुद्दा है. प्राइवेट सेक्टर में वर्कलोड है, शोषण अधिक है. मौजूदा बीजेपी सरकार ने इंफ्रस्ट्राक्चर पर ध्यान दिया. सरकारी संस्थानों का निजीकरण किया. इसका फायदा यह हुआ कि रेल समय पर चलने लगी. लेकिन गरीब जनता को नुकसान हुआ.

अग्निवीर को लेकर कहते हैं कि सेना नौकरी नहीं है, यह इमोशनल भर्ती है. ये देश के लिए है. 4 साल का कॉन्सेप्ट ठीक नहीं है. कोई युवा देश के लिए ज्वॉइन करेगा, ट्रेनिंग करेगा, 4 साल बाद जब वह टफ टाइम को निकालकर कंफर्ट जोन में पहुंचेगा तो कहा जाएगा कि अब आपकी सेवा खत्म हो रही. यह गलत है. बाकी यहां दोनों नेताओं में तगड़ी टक्कर है.

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विनय की ही तरह उदित तिवारी कहते हैं कि नौकरी इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा है. बाकी रही योजनाओं की बात तो जिसे जरूरत है उसे नहीं मिल पा रहा. आवास योजना का लाभ उसे मिल रहा, जिसके पास पहले से है. सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है. रणवीर कहते हैं कि देश के लिए योगी-मोदी तो जरूरी है लेकिन कन्नौज के लिए अखिलेश यादव जरूरी हैं.

(Udaipur Kiran) की टीम इत्र नगरी शहर के अंदर पहुंची. वहां रामनिवास गौतम मिलकर उनकी राय जानी. सवाल किया कि आपके समाज के लोग अबकी बार किसके साथ जा रहे. रामनिवास ने बताया कि बीजेपी-सपा व बसपा, तीनों ही पार्टियों में वोट जाएगा. जिसे कॉलोनी, गैस मिला वह बीजेपी के साथ जा सकता है. ये सब फैसला चुनाव से एक दिन पहले होगा.

राम प्रकाश कहते हैं, यहां से तो सपा ही जीतेगी अब. तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनवाया गया तो कुछ गड़बड़ लगा. अब अखिलेश आ गए हैं तो जीत जाएंगे. सपा यहां की पार्टी है, यहां के पुराने लोग जुड़े हुए हैं, इसलिए वहीं जीतेंगे.

मोदी लहर है इसलिए यहां बीजेपी जीतेगी

चुनावी टीम फूलमती मंदिर के पास पहुंची. वहां हमें अविनाश गुप्ता बात की. वह कहते हैं कि यहां का मुकाबला रोमांचक होगा. कन्नौज की जनता विकास चाहती है, मोदी जी के साथ रहेगी. बेरोजगारी वाले मुद्दे के सवाल पर अविनाश कहते हैं, क्या ये जीत जाएंगे तो नौकरी दे देंगे? भाजपा जीतेगी और फिर नौकरी पर काम करेगी. पहले 400 पार पहुंचने तो दीजिए.

बेरोजगारी के चलते सुसाइड कर रहे युवा

कन्नौज शहर से करीब 15 किमी दूर तिर्वा के आकाश ने युवाओं की बेरोजगारी पर बोलते हुए कहा कि इसी कन्नौज में एक पाल समाज के युवा ने बेरोजगारी से परेशान होकर सुसाइड नोट लिखा और फिर दुनिया को छोड़ दिया. सुरक्षा की बात को लेकर जो मणिपुर में हुआ उसपर कोई कुछ नहीं बोलता.

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आकाश कहते हैं कि मौजूदा Member of parliament ने कभी किसी को पीटा तो कभी किसी को गाली दी. बहुत सारे लोगों पर फर्जी मुकदमें लिखवाए. हम लोग क्षत्रिय समाज से आते हैं, छिबरामऊ में महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाना चाहते थे लेकिन इन्होंने नहीं करने दिया. हम तो सिर्फ इतना कहेंगे- टूट गए फाटक, चले गए सुब्रत पाठक.

सलीम कहते हैं कि मुस्लिम समाज इस बार एकतरफा सपा को वोट कर रहा है. इसके अतिरिक्त यहां मौजूद कई और युवाओं ने बेरोजगारी, महंगाई पर अपनी बात रखी.

Lok Sabha चुनाव के लिहाज से प्रत्याशियों को रिकार्ड

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का Lok Sabha चुनाव में परफॉर्मेंस 100 प्रतिशत रहा है. खासकर कन्नौज सीट से अखिलेश यादव ने हर चुनाव में अपने विरोधियों को मात दी है. एक बार फिर अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उनका यह कन्नौज से चौथी बार चुनाव है. अखिलेश के सामने बीजेपी से सुब्रत पाठक प्रत्याशी हैं जो 2019 में अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव को हराकर संसद पहुंचे थे. इस बार फिर से सुब्रत पाठक मैदान में हैं. हालांकि 2009 में सुब्रत पाठक अखिलेश से चुनाव हार चुके हैं. 2014 में डिम्पल बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक को चुनाव में हरा चुकी हैं. इस तरह सुब्रत पाठक दो बार यादव परिवार से चुनाव हार चुके हैं और सिर्फ एक बार ही चुनाव जीते हैं. ऐसे में अगर सुब्रत पाठक डिम्पल के बाद अब अखिलेश से चुनाव जीत जाते हैं तो जीत और हार का हिसाब भी बराबर हो जाएगा.

भीड़ देखकर गदगद हुए अखिलेश

अपने चुनावी जनसम्पर्क अभियान के लिए Monday को सपा अध्यक्ष और कन्नौज से प्रत्याशी अखिलेश यादव इत्र नगरी पहुंचे. यहां उमड़ी भीड़ देखकर गदगद हुए सपा अध्यक्ष ने कहा कि इस बार सपा रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतने जा रही है. उधर बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव को बाहरी बताकर घर और गढ़ में लड़ाई की बात कही है. सप्ताह में दूसरी बार अखिलेश आज फिर कन्नौज में थे. बाबा गौरी शंकर का आशीर्वाद लिया, फिर पुराने बुजुर्ग समाजवादियों से मिलने घर-घर गए और सबसे आत्मीयता से मिले. सबने आशीर्वाद दिया और खुद भी भरपूर तरीके से जुटने का वादा कर प्रचण्ड जीत का भरोसा दिलाया.

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पत्नी को हराने के चलते ही कन्नौज से चुनाव मैदान में आए हैं अखिलेश

सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव के कन्नौज से चुनाव लड़ने पर कहा कि 2019 में हमने उनकी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव हरा दिया था. अखिलेश का गांव सैफई भी नजदीक ही है. बात वहां तक पहुंच गई. उन्होंने समझाते हुए कहा कि देखिए, किसी भी परिवार में पत्नी को आगे बढ़ाया जाता है तो प्रतिष्ठा अधिक जुड़ती है. घर-परिवार में इसकी चर्चा होती है. पत्नी की हार से उन्हें काफी दुख हुआ होगा. चोट दिल पर लगी होगी. इसी कारण वे यहां से चुनाव मैदान में उतरे हैं. कोई और बात नहीं है. उन्होंने सोचा होगा, जब डिंपल ही हार गईं तो लड़ने वाला और कौन बचा है. सुब्रत पाठक ने समाजवादी पार्टी को सांप्रदायिक तुष्टीकरण और जाति विभाजन की राजनीति वाली पार्टी बताते हुए कहा कि आतंकी-माफियाओं के दम पर सत्ता को हासिल करने की कोशिश की, यह राजनीति अधिक दिनों तक नहीं चलती. उन्होंने कहा कि आज योगी यूपी में आ गए, गांव-गांव से माफियाओं को खत्म कर दिया. जब अपराधी ही नहीं रहेंगे तो समाजवादियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.

क्या कहते हैं पत्रकार

कन्नौज सीट से सपा और बीजेपी उम्मीदवारों के जीत के दावों पर स्थानीय पत्रकारों से बातचीत की. पत्रकारों की मानें तो कन्नौज सीट पर अब कोई कांटे की फाइट नहीं होने वाली है. सुब्रत पाठक ने भले ही 2019 में डिंपल यादव को चुनाव हार दिया था लेकिन इस बार अखिलेश के चुनाव लड़ने से कन्नौज सीट का चुनाव एकतरफा होता दिख रहा है.

(Udaipur Kiran) झा/मोहित

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