लोस चुनाव : पीतल नगरी मुरादाबाद में किसकी चमक रहेगी कायम

Lucknow . Moradabad Uttar Pradesh के उत्तरी हिस्से में रामगंगा नदी के किनारे लगभग 3,718 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. Moradabad , पीतल हस्तशिल्प उद्योग के कारण पीतल-नगरी के नाम से मशहूर है. यहां बने पीतल के सामान का निर्यात कई देशों में होता हैं जिसके चलते Moradabad इंपोर्ट एक्सपोर्ट हब भी है.

ऐतिहासिक रूप से यह शहर चौपला नाम से जाना जाता था जो उत्तरी भारत में व्यवसाय और दैनिक उपयोग के वस्तुओं की खरीद-बिक्री का महत्वपूर्ण स्थान था. इस शहर को रुस्तम खान ने 1625 में बसाया और मस्जिद और किलों का निर्माण कराया था. बाद में शाहजहां के बेटे मुराद बख्श द्वारा इस शहर का नाम बदलकर Moradabad रखा गया. Moradabad पर मौर्य शासक, गुप्त वंश शासक, सम्राट हर्षवर्धन, पृथ्वीराज चौहान ने शासन किया है. वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने यहां आयोजित स्वाधीनता अधिवेशन में असहयोग आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव रखा था.

Uttar Pradesh की राजनीति में Moradabad Lok Sabha सीट की अपनी अहमियत है. इस जिले की जनसंख्या लगभग 41 लाख के करीब है, जिसमें 54.29 फीसदी पुरुष और 45.70 फीसदी महिलाओं का संख्या है. वहीं अगर Moradabad Lok Sabha की बात करें तो इसमें लगभग 20 लाख के करीब मतदाता हैं. Moradabad Lok Sabha सीट पर सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है. यहां पर कुल 52.14 फीसदी हिंदू और 47.12 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है.

Moradabad Lok Sabha सीट का राजनीतिक इतिहास

Moradabad संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो मुस्लिम बहुल सीट पर 11 बार मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है तो 6 बार अन्य उम्मीदवारों के खाते में जीत गई है. यह प्रदेश की उन चंद सीटों में से एक है जहां पर कांग्रेस को पिछले 20 सालों में एक या दो बार जीत हासिल हुई है. फिलहाल आजादी के बाद पहली बार 1952 में इस सीट पर भी आम चुनाव कराया गया जिसमें कांग्रेस को जीत मिली. 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी सैयद मुजफ्फर हुसैन को जीत मिली. Moradabad का इतिहास रहा है कि यहां हर Lok Sabha चुनावों में अलग पार्टी का Member of parliament बनता है जैसे 2019 में सपा सांसद, 2014 में भाजपा से Member of parliament कुंवर सर्वेश सिंह, 2009 में कांग्रेस से क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन Member of parliament रह चुके है.

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कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने ये सीट चार-चार बार जीती है. जनता पार्टी और जनता दल 2-2 बार यहां जीत दर्ज करा चुके हैं. वहीं जनसंघ, जनता पार्टी सेक्युलर, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस भी 1-1 बार यहां जीत का झंडा गाड़ चुके हैं. 2014 के चुनाव में देश में मोदी लहर का फायदा बीजेपी को मिला और Moradabad सीट पर पहली बार कमल खिला. लेकिन 2019 में भाजपा ये सीट सपा से हार गई.

2019 चुनाव के नतीजे

2019 के Lok Sabha चुनाव में भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन किया था और इस वजह से यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई. सपा प्रत्याशी डॉ एसटी हसन ने 97,878 (7.6 फीसदी) मतों के अंतर से भाजपा के उम्मीदवार को हरा दिया. हसन को चुनाव में 649,416 (50.65 फीसदी) वोट मिले जबकि भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार के खाते में 551,538 (43.01 फीसदी) वोट आए. कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे इमरान प्रतापगढ़ी को 59,198 (4.62 फीसदी) वोट ही मिले.

2014 में पहली बार Moradabad Lok Sabha सीट पर भाजपा की जीत हुई. Uttar Pradesh में भाजपा 71 सीटें जीत कर आई थी और पश्चिमी Uttar Pradesh में उसने क्लीन स्वीप किया था. कुंवर सर्वेश कुमार ने अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन को मात दी थी. सर्वेश कुमार ने करीब 87 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. 2014 के Lok Sabha चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर पांचवें नंबर पर रही थे.

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2024 में गठबंधन के साथी कौन हैं

2019 के Lok Sabha चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था. इस बार भाजपा-रालोद गठबंधन में हैं. इंंडिया गठबंधन में सपा-कांग्रेस शामिल हैं. इंडिया गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है. बसपा अकेले मैदान में है. भाजपा-रालोद गठबंधन में यह सीट भाजपा के हिस्से में है.

चुनावी रण के योद्धा

भाजपा ने Moradabad Lok Sabha सीट पर चौथी बार सर्वेश सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है. इससे पहले सर्वेश सिंह 2009, 2014 और 2019 प्रत्याशी रहे हैं. सपा ने सीटिंग Member of parliament एस.टी. हसन का टिकट काटकर पूर्व विधायक रुचि वीरा को मैदान में उतारा है. बता दें कि समाजवादी पार्टी ने पहले Member of parliament एसटी हसन को उम्मीदवार बनाया था. आजम खान के दबाव में एसटी हसन के टिकट को काटकर अखिलेश यादव ने रुचि वीरा को उम्मीदवार बना दिया है. बहुजन समाज पार्टी से मोहम्मद इरफान सैफी को मैदान में उतारा है. एआईएमआईएम ने बकी रशीद को प्रत्याशी घोषित किया है. बकी रशीद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के महानगर अध्यक्ष भी हैं.

Moradabad सीट का जातीय समीकरण

Moradabad जिले के जातीय समीकरण को देखें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक, जिले की कुल आबादी 4,772,006 थी जिसमें पुरुषों की संख्या 2,503,186 थी तो महिलाओं की संख्या 2,268,820 थी. धर्म के आधार पर देखें तो हिंदुओं की आबादी 52.14 फीसदी थी मुस्लिम बिरादरी की संख्या 47.12 फीसदी थी. इनके अलावा अनुसूचित जाति के जाटव मतदाताओं की संख्या करीब 1.80 लाख थी जबकि बाल्मीकि मतदाताओं की संख्या करीब 43000 थी. इनके अलावा यादव बिरादरी के मतदाता अहम भूमिका रखते हैं. 1.50 लाख ठाकुर मतदाता, 1.49 लाख सैनी मतदाता के अलावा करीब 74 हजार वैश्य, 71 हजार कश्यप और करीब 5 हजार जाट मतदाता हैं, साथ ही प्रजापति, पाल, ब्राह्मण, पंजाबी और विश्नोई समाज के मतदाताओं की भी अच्छी भूमिका रही है.

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Moradabad Lok Sabha के विधानसभा सीटों का हाल-चाल

Moradabad Lok Sabha की बात करें तो उसमें कुल 6 विधानसभा आती हैं उनमें Moradabad नगर, Moradabad ग्रामीण, ठाकुरद्वारा, कांठ, कुंदरकी और बिलारी. इनमें से पांच सीटों पर सपा और एक सीट पर भाजपा का कब्जा है. Moradabad शहर (रितेश कुमार गुप्ता, भाजपा), Moradabad ग्रामीण (मो. नासिर, सपा), बिलारी (मो. फहीम इरफान, सपा), कांठ (कमाल अख्तर, सपा), कुंदरकी (जियाउर्रहमान, सपा), ठाकुरद्वारा (नवाब जान, सपा).

सियासी गुणाभाग की जमीनी हकीकत

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाजपा फिर से 2014 की तरह जीत हासिल करने की जुगत में लग गई है. इसलिए उसकी ओर से पसमांदा मुस्लिम का पहला सम्मेलन Moradabad में ही आयोजित कराया गया था. अब देखना होगा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अनुसूचित जाति) के जवाब में बीजेपी किस तरह का प्रदर्शन करती है. नामांकन के अंतिम दिन एसटी हसन का नामांकन रद करवा कर रुचि वीरा को सिंबल देना सपा के बड़े गुट को पसंद नहीं आ रहा है. कुछ लोगों ने खुलकर तो कुछ ने इशारों में इसका विरोध शुरू भी कर दिया है. रुचि वीरा आजम खान की पसंद और उनकी खास मानी जाती हैं. पार्टी के अंदर उपजा विरोध सपा को भारी पड़ सकता है. सपा के सामने सीट बचाने की चुनौती है तो भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के गृह जनपद की सीट पर जीत दर्ज करना चाहेगी.

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, एआईएमआईएम के प्रत्याशी बकी रशीद के आखिरी दिन नामांकन दाखिल करने के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को अपना खेल बिगड़ता नजर आ रहा है. बसपा ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है लिहाजा मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता दिखाई दे रहा है. जिसका सीधा फायदा भाजपा के कुंवर सर्वेश को होता नजर आ रहा है.

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