रियायती दर पर भूमि और आयकर से छूट लेकर भी मनमानी फीस ले रहे हैं निजी स्कूल

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jaipur, 07 मई (Udaipur Kiran) . Rajasthan हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की ओर से फीस एक्ट, 2016 व नियम, 2017 के विपरीत फीस लेने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा है कि निजी स्कूल कानून के अनुसार फीस तय नहीं कर रहे हैं. शिक्षा के मूलभूत अधिकार को पूरा करने के लिए State government निजी स्कूलों को रियायती दर पर जमीन सहित अन्य सुविधाएं दे रही है और इन स्कूलों को आयकर से भी छूट मिली हुई है. इसके बावजूद निजी स्कूल कानून के विपरीत फीस तय करने की सामाजिक गलती कर रहे हैं. इतना ही नहीं निजी स्कूल अभिभावकों को एनसीआरटी की तय की गई किताबों के अतिरिक्त किताबें, यूनिफार्म व अन्य सामग्री खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं. जस्टिस समीर जैन ने यह मौखिक टिप्पणी जितेन्द्र जैन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने 16 मई को प्रमुख शिक्षा सचिव को अदालत में हाजिर होने को कहा है.

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अदालत ने कहा है कि अभिभावकों की ओर से इस संबंध में दिए गए ज्ञापनों पर कार्यवाही नहीं होने से ही सरकारी उदासीनता प्रथम दृष्टया ही साबित है. सरकारी मशीनरी कानून की पालना में अभिभावक—शिक्षक संघ के सुझावों पर अमल करने में भी उदासीनता बरत रही हैं. इसलिए अदालत ने 18 अप्रेल को शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और केस इंचार्ज को संबंधित रिकार्ड के साथ 29 अप्रेल को पेश होने को कहा था, लेकिन ना रिकॉर्ड पेश हुआ ना ही कोई संतोषजनक जवाब ही दिया है.

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याचिकाओं में कहा गया कि विद्याश्रम स्कूल सहित अन्य स्कूलों ने Rajasthan फीस एक्ट, 2016 और नियम, 2017 के विपरीत फीस में बढोतरी कर दी. अभिभावकों ने इसके खिलाफ सीबीएसई सहित सरकार को ज्ञापन दिए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि फीस एक्ट को Supreme court सही ठहरा चुका है. एक्ट के अनुसार प्रत्येक स्कूल अभिभावक-शिक्षक संघ बनाने और एक्ट के अनुरुप ही फीस बढोतरी करने को बाध्य है. इसके बावजूद विद्याश्रम स्कूल ने 2017-18 के सत्र में करीब 45 फीसदी की बढोतरी कर दी.

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(Udaipur Kiran) /ईश्वर

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