New Delhi, 01 मई (Udaipur Kiran) . Supreme court ने एक बार फिर साफ किया है कि हिन्दू रीति-रिवाज से की गई शादी तभी वैध होगी, जब इसमें शादी से जुड़ी रीतियों का पालन हो. हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 7 के तहत इसमें सप्तपदी (सात फेरों जैसी रीति) का पालन होना चाहिए अन्यथा शादी मान्य नहीं होगी.
Supreme court ने अपने फैसले में युवाओं को नसीहत भी दी है कि वो शादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें. Supreme court ने कहा कि वीजा जैसी कुछ व्यावहारिक सहूलियतों के लिए बिना फेरे लिए शादी का रजिस्ट्रेशन न कराएं. कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र बंधन है, एक संस्कार है, जिसकी भारतीय समाज में अपनी एक अहमियत है. शादी कोई गाने, डांस करने, शराब पीने, खाने-पीने और दहेज लेने का आयोजन नहीं है. यह ऐसा अहम आयोजन है, जिसमें दो लोग जीवन भर के साथ निभाने के लिए आपस में जुड़ते हैं. इसके लिए जरूरी है कि इसकी रीतियों का निष्ठा से पालन हो.
(Udaipur Kiran) /संजय /जितेन्द्र