राज विस चुनाव: पायलट का चेहरा दिखाकर गुर्जरों का वोट लेना इस चुनाव में कांग्रेस को पड़ेगा भारी

पायलट 

jaipur, 7 नवंबर . 2018 में चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट को Rajasthan का Chief Minister नहीं बनाए जाने पर गुर्जर समाज अब कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हो गया है. 2018 में पायलट के चेहरे पर कांग्रेस को जीत दिलाने का दावा करने वाले गुर्जरों ने Rajasthan Assembly Elections में बड़े पैमाने पर कांग्रेस को इस उम्मीद में वोट दिया था कि सचिन पायलट सीएम बनेंगे. उस संभावना के धूमिल होने के बाद पांच साल चली खींचतान के बीच अब कांग्रेस गुर्जर नेताओं को नियुक्ति और टिकट देकर साधने की कोशिश कर रही है. हालांकि चुनाव में दोनों नेता करीब आए हैं और कोई विवाद नहीं होने की बात कह रहे हैं. अब एक बार फिर कांग्रेस ने पायलट को आगे करते हुए चुनाव में गुर्जरों की नाराज़गी दूर कर वोट हासिल करने की रणनीति बनाई है, हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इस बार गुर्जर कांग्रेस पर विश्वास करेंगे या नहीं, क्योंकि गहलोत के पायलट पर दिए गए बयानों से गुर्जर समाज का वोट कांग्रेस को जाएगा इसको लेकर संशय है. अब समाज ने इसे अंदरखाने वादा खिलाफी बताते हुए कांग्रेस को चुनाव में सबक सिखाने की बात कही है. बीजेपी अब इसका फायदा चुनाव में उठाकर गुर्जर वोट साधने की जुगत लगा रही है. इसका फायदा बीजेपी को मिल भी सकता है

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गुर्जर समाज ने दिए कांग्रेस को 7 विधायक

Assembly Elections 2018 में कांग्रेस ने 12 गुर्जर समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया. 7 प्रत्याशी जीत कर विधानसभा में पहुंचे. 2018 के Assembly Elections में गुर्जर समाज से 8 विधायक जीत कर सदन पहुंचे थे. 7 प्रत्याशी कांग्रेस के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे. जबकि जोगिन्दर सिंह अवाना बीएसपी से जीतकर विधानसभा के सदस्य बने . सभी बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कर लेने के बाद विधानसभा में 8 गुर्जर समाज के सदस्य हो गए.

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12 जिलों गुर्जरों का दबदबा

Rajasthan के 12 जिलों में गुर्जर समाज का प्रभाव देखने को मिलता है. Bharatpur , Dholpur, Karauli , सवाई माधोपुर, jaipur, टोंक, दौसा, kota, Bhilwara, बूंदी, Ajmer और झुंझुनू जिलों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है.

2018 में गुर्जरों ने कांग्रेस के लिए की थी एकतरफा वोटिंग

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विधानसभा 2018 के चुनाव में 9 गुर्जर प्रत्याशियों को टिकट देने के बावजूद बीजेपी के टिकट पर समाज का एक भी विधायक जीत दर्ज कर विधानसभा नहीं पहुंच पाया. क्योंकि गुर्जर समाज को यही उम्मीद थी कि कांग्रेस जीतती है तो पायलट सीएम बनेंगे. इससे यही साबित होता है कि गुर्जर समाज ने 2018 में पायलट के चेहरे पर कांग्रेस को सपोर्ट किया था .