हल्द्वानी, 03 मई (Udaipur Kiran) . उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शोध एवं नवाचार निदेशालय के निदेशक प्रो. गिरिजा पांडे ने कहा कि यात्राएं केवल सैर सपाटे के लिए नहीं होती, अगर आपके पास एक शोधार्थी वाली गहन दृष्टि है, तो आप यात्राओं से नया शोध नजरिया व टूल किट विकसित कर सकते हैं.
प्रो. पांडे ने Friday को विवि के शोध छात्रों को अस्कोट-आराकोट यात्रा के स्लाइड शो के जरिये उत्तराखंड की पिछले 50 सालों की यात्रा कराई. पहाड़ संस्था द्वारा हर दस साल में आयोजित अस्कोट-आराकोट यात्रा की इस वर्ष स्वर्ण जयंती है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इस यात्रा पर बातचीत कर लोगों को यात्रा में आने के लिए उत्साहित किया जा रहा है. इसी क्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शोधार्थी व प्राध्यापकों के लिए भी इस यात्रा के जरिये पिछले 40 साल के उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय बदलावों को सामने रखा गया.
प्रो. पांडे ने कहा कि अगर हम जागरूक हैं तो यात्राओं से हम अपने समाज व भूगोल की गहराई से पड़ताल कर सकते हैं. मनुष्य के प्रकृति पर अनावश्यक हस्तक्षेप ने कैसे पूरी पारिस्थितिकी को बिगाड़ के रख दिया है. उन्होंने कहा कि 40 साल पहले बेहद कम बालिकाएं स्कूलों में दिखती थीं लेकिन आज विद्यालय छात्राओं से भरे पड़े हैं. सड़कों के किनारे बसे गांव छोटे कस्बों में तब्दील हो गए हैं.
(Udaipur Kiran) /अनुपम गुप्ता/सत्यवान