किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की मौत के बाद हंगामा,परिजन बोले गलत इंजेक्शन से हुई मौत

jaipur, 20 अप्रैल (Udaipur Kiran) . अंग प्रत्यारोपण और विदेशी लोगों से रुपये देकर अंग खरीद-फरोख्त मामला अभी थमा भी नहीं कि Saturday को किडनी ट्रांसप्लांट के बाद फोर्टिस अस्पताल में मरीज की मौत के बाद बखेडा खड़ा हो गया. मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. सूचना पर जवाहर सर्किल थाना Police मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया. Friday को GurugramPolice ने भी फोर्टिस और ईएचसीसी अस्पताल में छापा मार कर रिकॉर्ड उठा कर अपनी जांच शुरू कर दी है. हंगामे के दौरान परिजनों ने Doctors पर मरीज को गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगाया. जबकि अस्पताल प्रशासन मरीज की मौत हार्ट अटैक से होना बता रहा है.

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प्राप्त जानकारी के अनुसार 23 मार्च को फोर्टिस अस्पताल में नरेश कुमार जायसवाल (47) का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. नरेश का किडनी ट्रांसप्लांट doctor जितेन्द्र गोस्वामी और उनकी टीम ने किया था. इस ट्रांसप्लांट के लिए एनओसी भी फर्जी तरीके से जारी की थी. हालांकि नरेश को किडनी डोनेट उनकी मां के द्वारा की गई थी. ट्रांसप्लांट के बाद उन्हें छुट्टी दे दी थी. चेकअप के लिए परिजन मरीज को लेकर 4 अप्रैल को अस्पताल पहुंचे तो इंफेक्शन आने की बात कहकर Doctors ने मरीज को दोबारा भर्ती कर लिया. इसके बाद से लगातार उनका इलाज जारी था. Friday देर शाम हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज को छुट्टी देने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन देने के बाद नरेश की तबियत बिगड़ गई. जब हमने Doctors से अचानक तबियत खराब होने का कारण पूछा तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया. इतना ही नहीं मरीज से मिलने भी नहीं दिया. आईसीयू के बाहर सुरक्षा गार्ड और अन्य स्टाफ तैनात कर दिया. Friday को काफी बहस के बाद एक परिजन को मिलने के लिए आईसीयू भेजा. अंदर देखा कि हॉस्पिटल का मेडिकल स्टाफ नरेश इलेक्ट्रिक शॉट के जरिए सीपीआर दे रहा था. इसके बाद देर रात मरीज को मृत घोषित कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों ने हंगामा कर दिया. परिजनों ने डेड बॉडी लेने से मना कर दिया. इसके अलावा इस मामले की एक शिकायत जवाहर सर्किल थाने में भी दी, लेकिन थाने की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया.

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इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज को उसकी मां ने किडनी दी थी. उन्हें 30 मार्च को छुट्टी दे दी गई थी. पेल्विक डिसफंक्शन और मूत्र संक्रमण के कारण 4 अप्रैल को फिर से भर्ती कराया गया था. 19 अप्रैल को एमआईसीयू में कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) हुआ. हमारी मेडिकल टीम की कोशिश के बावजूद मरीज को बचाया नहीं जा सका.

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(Udaipur Kiran)

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