कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के पचास वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर स्वर्ण जयंती मशाल कार्यक्रम

कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर स्वर्ण जयंती मशाल कार्यक्रम

बीकानेर, 6 मई (Udaipur Kiran) . कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर पूरे देश में स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित किए जा रहे हैं. इसी क्रम में Monday को स्वामी केशवानंद Rajasthan कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वामी विवेकानंद संग्रहालय सभागार में प्रसार शिक्षा निदेशालय की ओर से स्वर्ण जयंताी मशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसके मुख्य अतिथि अटारी Jodhpur के निदेशक डॉ जेपी मिश्रा थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरूण कुमार ने की. कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी, अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ सुभाष चंद्र समेत सभी डीन, डायरेक्टर, छह जिलों के केवीके से आए हुए कृषि वैत्रानिक व किसान शामिल हुए.

इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद व उनकी ज्यादातर समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया गया. कृषि विश्वविद्यालय Jodhpur से आई मशाल को अतिथियों ने राजुवास Bikanerके प्रतिनिधियों को सौंपा. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अटारी Jodhpur के निदेशक डॉ जेपी मिश्रा ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में प्रधानमंत्री सबसे ज्यादा जिसका उल्लेख करते हैं वह कृषि विज्ञान केन्द्र ही हैं. लिहाजा कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़े हुए किसान अपने रिश्तेदारों और मित्रों को भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ें, ताकि कृषि की नई तकनीकों का अन्य किसानों को भी लाभ मिले.

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कुलपति डॉ अरूण कुमार ने कहा कि जल्द ही मोबाइल वैन के जरिए किसानों को उनके खेत पर ही मिट्टी की क्वालिटी चैक कर बताया जाएगा कि उनके खेत में फल, फूल, सब्जी, दलहन, तिहलन में से कौनसी फसल की उपज अच्छी होगी. उन्होंने कहा कि किसानों ने केवीके के वैज्ञानिकों से मिले सपोर्ट की जो जानकारी साझा की उससे हम सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी ने कहा कि अब किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ओर अग्रसर करने की आवश्यता है. साथ ही कहा कि बीज का योगदान खेती में सबसे ज्यादा होता है. किसानों को बीज की अच्छी क्वालिटी मिले, ये प्राथमिकता में हो.

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अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत ने किसानों द्वारा बताई ज्यादातार समस्याओं का मौके पर समाधान किया. कार्यक्रम की शुरूआत में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ सुभाष चंद्र ने केवीके के योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उसके बाद छह जिलों से आए विभिन्न किसानों ने बताया कि केवीके द्वारा बताई गई नई तकनीकों के अपनाने से उनकी आमदनी कई गुणा बढ़ सकी.कार्यक्रम के आखिर में उपनिदेशक प्रसार डॉ राजेश कुमार वर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ केशव मेहरा ने किया.

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विदित है कि देश में कुल 731 कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) हैं. देश में पहला केवीके पांडिचेरी में 21 मार्च 1974 को खोला गया था. वहीं देश का दूसरा केवीके और Rajasthan का पहला केवीके फतेहपुर में खोला गया था.

(Udaipur Kiran) /राजीव

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